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मैं स्वीकार करती हूँ शोक और उत्सव

आज प्रस्तुत हैं लैटिन अमेरिकन देश पेरू की कवयित्री ब्लांका वरेला की कविताएँ. लगभग सुर्रियल सी उसकी कविताओं के अक्तावियो पाज़ बड़े शैदाई थे. बेहद अलग संवेदना और अभिव्यक्ति वाली इस कवयित्री की कविताओं का मूल स्पैनिश से हिंदी अनुवाद किया है मीना ठाकुर ने. मीना ने पहले भी स्पैनिश से कुछ कविताओं के अनुवाद किए हैं. पाब्लो नेरुदा की जन्म-शताब्दी के साल ‘तनाव’ पत्रिका का एक अंक आया था, जिसके लिए मीना ने नेरुदा की कविताओं के अनुवाद किए थे- जानकी पुल.
1.
ऐसा होना चाहिए
यह ईश्वर का ही चेहरा ऐसा होना चाहिए
धूसर बादलों के क्रोध से बंटा आकाश जैसे, बैंगनी
और नारंगी   
और उसकी आवाज़
नीचे समुद्र
हमेशा एक-जैसी बात कहने वाला
वही एकरसता
वही एकरसता
जैसा पहला दिन
वैसा ही अंतिम दिन
2.
हमें कोई नहीं बताता
हमें कोई नहीं बताता कैसे
दीवार की तरफ चेहरा घुमाएँ
और सुविधा से मर जाएँ
जैसे किया बिल्ली ने
या घर के कुत्ते ने
या हाथी ने
जो अपनी व्यथा की ओर चला गया
जैसे कोई जाता है
किसी स्थगित उत्सव में
अपने कान डुलाते हुए
अपनी सूंड की सांसों की संगीतमय
लय पर
केवल जंगल राज में उदाहरण होते हैं
ऐसे बर्ताव के
चाल बदलो
उसके समीप जाओ
सूँघो उसे जो कुछ जीवन था  
और लौट जाओ
सुविधा से
लौट जाओ.
3.
अधूरा स्वर
धीरभाव  सुंदरता है
टीपती हूँ इन पंक्तियों को बाहर
विराम लेती हूँ
मैं स्वीकार करती हूँ रौशनी
नवंबर की हलकी हवाओं तले
घास तले
रंगहीन
छितराए और स्याह
आकाश के नीचे  
मैं स्वीकार करती हूँ शोक और उत्सव
न पहुंची हूँ
न पहुंचूंगी कभी
सबके केंद्र में  
यह एक सम्पूर्ण कविता है
अपरिहार्य सूरज
रात बिना अपना सिर घुमाए
अपनी रौशनी बिखेर रही है  
उसकी परछाईं
शब्दों का प्राणी
भव्यता को चिढाते  
उसके निशान  
उसके अवशेष
यह सब कहने के लिए
कि कभी
मैं थी सावधान
निशस्त्र
लगभग एकसमान
मृत्यु में
जैसे अग्नि में
 
      

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10 comments

  1. सुन्दर कवितायेँ!
    अनुवाद के लिए आभार!

  2. Dhanyavad in kavitaon ko Janaki pul me jageh dene ke liye…:-)

  3. badhia aunwaad badhia kavitaeyn

  4. बहुत सहज और स्वाभाविक अनुवाद है ..
    मीना , अब आपके कंधे पर ढेर सी जिम्मेदारी आने वाली है ..
    हिंदी साहित्य या किसी भी देश के साहित्य में अनुवाद एक ऐसा पुल है जो उसे अन्यान्य देशों से जोड़ता है ..
    इसकी खिड़की से आने वाली तमाम हवाएं आपके वातावरण में ढलकर अलग ही परिवेश का निर्माण करती हैं ..
    मीना इस परिवेश का निर्माण बखूबी कर रही हैं .. बधाई ! मीना को विशेष रूप से और जानकी पुल का आभार ..

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