कहानी 140 प्रतियोगिता में अमितेश कुमार एक ऐसे लेखक रहे जिनको दो दिन पुरस्कार मिला. आज उनकी ट्विटर कहानियां- जानकी पुल.
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आखिरी दांव भी खाली गया, रिजल्ट से निराश उसने अपने कमरे का मुआयना किया, ये सब लेकर कहां और कैसे ? फ़िर बत्रा के लिये निकल गया
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सर प्लेट लाईये ना मोमो निकाला जाए. जुनियर ने दो बार कहा. हां बाबु टाईम से पीएच.डी. ना जमा हो तो सीनियर ही प्लेट लायेगा.
एनएसडी में पढ के क्या मिला? कार रूकती है और एक जुता बाहर निकलता है, उसे यहीं से निकला एक्टर साफ़ करता है, क्या एक्टिंग है!
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इस एक्शन का क्या मतलब है? अभिनेता ने पूछा. अगले दिन रिहलसल स्पेस पर उसकी भूमिका में कोई और था और वह भीड़ का हिस्सा
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आईने में अपने आप को देखा, छोटे बालों में कितना अजीब, आंसु आ गए, उसका पेशा उसके बच्चों को चुभ गया बाल काट दिये, जबरन..
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सौ रूपया! देंगे लेकिन…और बच्चे के इलाज के लिये एक रात के कुछ छण, कीमत अधिक नहीं लगी.पति लुधियाना था.पैसे दो महिने से नहीं आये थे
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भूतपूर्व मुखिया ने उचटती हुई निगाह दरवाजे पर डाली और खाली
सार्थक कहानियां, अपने समय पर कटाक्ष करती हुई.
अच्छीं
अर्थपूर्ण !
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