Home / ब्लॉग / लालित्य ललित की कविताएँ

लालित्य ललित की कविताएँ

हिंदी कविता में अनेक स्वर सक्रिय हैं, उसकी अनेक धाराएं हैं. एक स्वर लालित्य ललित की कविताओं का भी है. आइये उनकी कुछ कविताएँ पढते हैं- जानकी पुल.
===================================

गांव का खत: शहर के नाम
उस दिन डाकिया
बारिश में
ले आया था तुम्हारी प्यारी चिट्ठी
उसमें गांव की सुगन्ध
मेरे और तुम्हारे हाथों की गर्माहट से
मेरे भीतर ज्वालामुखी फूट पड़ा था
सच! ढेर सारी बातें लिख छोड़ी थीं तुमने –
‘‘समय से काम पर जाना
ठीक वक्त पर खाना खाना
और सबसे जरूरी शहरी सांपिनों से दूर रहना
कितना ख्याल रखती हो मेरा
या कहूं कि अपना।
याद है वह सावान की अलसाई दोपहर – ब्याह से केवल दो दिन पहले
जब गेंदा ताई के ओसारे में खाए थे
मैंने-तुमने सत्तू और चूरमे के लड्डू
जिन्हें तुम सुबह से ओढ़नी में छिपाए हुए थीं
तुम्हारा खत उनका भी स्वाद दे रहा है
और याद आ गया मुझे बिट्ट्ू के पैदा होने पर
बांटी थी गांव भर में मिठाई
मैंने, बप्पा ने, अम्मा ने नाच-नाचकर
मैंने पिछले हफ्ते फैक्टरी में फिर बांटी थी मिठाई
संभाल-संभाल कर
जब मेरा-तुम्हारा बिट्टू हुआ था दस वसंत का
बिमला कैसी है
क्या बापू को याद करती है
बिमला अब तो बड़ी हो गई होगी
ध्यान रखियों शहर की हवा गांव तक पहुंच चुकी है
लड़की जात है, ताड़ की तरह बढ़ जाती है
तुमने लिखा था पूरन काका भी पूरे हो गए
और हरी नम्बरदार की तेरहवीं चौदस को थी
समय मिला तो
आ जाऊंगा
पर सहर में समय मिलता है क्या ?
वा हरियापिताजी के वक्त आया था
सब कुछ देखना पड़ता है जी।
मेरा भी मन न लगता
मुझको भी कुतुबमीनार देखना है
अब के तुम्हारी एक न सुनूंगी, हां…
अच्छा, शहर में अपना ख्याल रखना
ठीक-ठीक काम करना
मालिक लोगों से बनाकर रखना
जन्नत नसीब होती है
गांव आते वक्त
रेल से मत आइयो
मण्डी टेशन पर बम फटा था
लाली भौजाई कहे थी
लिख दियो, संभल कर आइयो मेरे लिए लाली
पीले रंग का ब्लाउज
बिट्टू के लिए बंडी
बिमला के लिए ओढ़नी और हां –
अम्मा के चश्में का नम्बर भेज रही हूं
बाकी क्या, बस तुम आ जाजो जी,
अच्छा अब सुन लो ध्यान से
बाबूबन के आइयो
आते वक्त कुर्ता-पाजामा पहन के मत आइयो
यहां रोब नहीं पड़ेगा
पिछले महीने कजरी का वोभी
गांव में हीरो बनके आया था
बड़ा अच्छा लगे था
सच, तुम भी पैंट-कमीज और
जूते पहन के आना
वो याद से तिरछी टोपी जरूर लीजो
तू मुझको वामें राज दिखे है
अच्छा अब खत बन्द करती हूं
तुम्हारी पत्नी
जमुना देवी
काली मंदिर के पास
गांव और पोस्ट आफिस-ढुंढसा
जिला अलीगढ़
उत्तर प्रदेष
फूल, पत्ती और तितली
दिल की गहराई से
चाहो
फूल को पत्ती को
और फुदकती कूदती तितली को
कुछ देर फूल को
सहलाओ
पत्ती को पुचकारो
देखोगे तुम
आहिस्ता से आ बैठेगी
तुम्हारी हथेली पर तितली
बिल्कुल वैेसे ही
जैसे किसी अनजान अजनबी
बच्चे की ओर
निष्कपट भाव से देखो
मुस्कराओ
तो पाओगे
बच्चा भी तुम्हें उसी भाव से
देखेगा
तो मेरे दोस्त
एक दूसरे को इसी भाव से
देखो
तो कटुता मिट जाएगी
हमेशा-हमेशा के लिए
क्या तुम नहीं चाहते
कि सब मिल जाए
देखो एक माला के एक फूल को
देखो
जो अलग छिटका पड़ा है
उसकी गंध होगी तो
पर वो बात नहीं होगी
जो माला की होती है
तो मानो मेरा कहना !
एकसूत्र में रहो
टूटन में क्या है ?
जुड़ कर रहो
मजाल है तुम्हें कोई
डिगा दे
तुम्हें कोई हिला दें
समूची धरातल पर
दिखने लगेगा असर
और तुम पाओगे तुम्हारे साथ
होंगे सभी लोग
जिन्हें तुम चाहते हो
और सच्चे मन की मुराद
हमेशा पूरी होती है
अगर किसी को भी चाहो
तो निष्कपट चाहो
पूरे मन से चाहो
पूरी शिद्दत से चाहो
देखो तुम्हारे हाथ में भी
आ बैठी हैं तितलियां
देखो तो !
पत्ती भी मुस्कराने लगी है
और फूल भी
अरे समूचा बगीचा ही
मुस्कराने लगा है
गीत खुशी के गाने लगा है
——
यात्राएं
 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-10 अंतिम

आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात …

15 comments

  1. शुक्रिया प्रवीन जी.

  2. धन्य्वाद.

  3. शुक्रिया अलोक भाइ.

  4. बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ती भैया ……………

  5. vah..pahli kavita bahut achchhi hai…badhai

  6. एक दम जिन्दगी को नजदीक से दिखाती /सिखाती हुयी आपकी ये रचनाये!

    बहतु बहुत बधाई! :गूगल युगीन : बात शानदार रही!

  7. shukriya,kavita ji.

  8. बहुत बढ़िया उम्दा रचना प्रस्तुति हेतु आभार…

  9. Hi there to all for the reason that I am genuinely keen of reading this website s post to be updated on a regular basis. It carries pleasant stuff.

  10. Czy jest jakiś sposób na odzyskanie usuniętej historii połączeń? Osoby posiadające kopię zapasową w chmurze mogą użyć tych plików kopii zapasowych do przywrócenia zapisów połączeń telefonicznych.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *