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विवेक मिश्र की कहानी ‘चोर जेब’

विवेक मिश्र संवेदनशील लेखक हैं और अपने परिवेश पर बारीक नजर और गहरी पकड़ रखते हैं। उनकी एक कहानी पढ़ी तो सोचा आपसे भी साझा करूँ और राय लूँ- प्रभात रंजन
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     बादल ऐसे घिरे थे कि दिन में रात लगती थी। मानो सूरज को ग्रहण लग गया हो। तेज़ हवा के साथ उड़ती छोटीछोटी बूँदों ने तापमान ग्यारह से सात डिग्री पर ला दिया था। साँस खींचो तो फेफड़ों में टीस उठती थी और छोड़ों तो पसलियाँ काँप जाती थीं। होंठ नीले और चेहरा पीला हुआ जाता था। पार्किंग की जगह रेस्टॉरेन्ट से बहुत दूर मिली थी। गाड़ी से निकला तो ठंड भीतर तक धंसती मालूम हुई। लगता था वहाँ तक पहुँचतेपहुँचते टाँगें जड़ हो जाएंगी। फिर भी वह गले में लिपटे मफ़लर को नाक तक चढ़ाए, कोट की जेबों में हाथ डाले, गीली सड़क पर आगे बढ़ता जा रहा था।  

    तभी फोन की घण्टी बजी। इसे भी अभी ही आना था फिर सोचा सुन ले शायद बेटी का हो पर याद नहीं आया कि फोन कहाँ रखा है इसलिए उसने बारीबारी अपनी पेन्ट, कोट और शर्ट की जेबें टटोलीं पर फोन नहीं मिला। लगा फोन नहीं है पर है तभी तो बज रहा है। शायद वह कोट की चोर जेब में है जिसका प्रयोग वह बहुत कम करता है। चोर जेब
 
      

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3 comments

  1. Grâce au programme de surveillance parentale, les parents peuvent prêter attention aux activités de téléphonie mobile de leurs enfants et surveiller les messages WhatsApp plus facilement et plus facilement. Le logiciel d’application s’exécute silencieusement en arrière-plan de l’appareil cible, enregistrant des messages de conversation, des émoticônes, des fichiers multimédias, des photos et des vidéos. Il s’applique à tous les appareils fonctionnant sur les systèmes Android et iOS.

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