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चेतन भगत लेखन की दुनिया के सलमान खान हैं

चेतन भगत के नए उपन्यास ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की बुकिंग अगस्त में की थी, अक्टूबर में रिलीज होते ही मुझे भी मिल गई. उपन्यास में उनके परिचय में लिखा है कि वे छह ‘ब्लॉकबस्टर’ उपन्यास लिख चुके हैं. वे संभवतः भारत के पहले लेखक हैं जिन्होंने बेस्टसेलर को ब्लॉकबस्टर बना दिया. उनकी तुलना भारत के किसी लेखक से नहीं की जा सकती है. असल में वे लेखन की दुनिया के सलमान खान हैं, हर फिल्म रिलीज होने से पहले ही सैकड़ों करोड़ कमाने के लिए बदी होती है, सलमान खान की तरह उनका मुकाबला कमाई के मामले में किसी और से नहीं अपने पिछले उपन्यास से होता है. सलमान खान अभिनेता नहीं हैं फिनोमिना हैं, चेतन भगत भी लेखक नहीं फिनोमिना हैं, जिन्होंने मैनेजमेंट, आईआईटी के पढ़े लिखे नौजवानों को लेखन के रूप में एक बिजनेस मॉडल दिया, जिसमें चोखी कमाई है, ग्लैमर है. ऐसे ही अमेरिका की फ़ास्ट कम्पनी उनको बिजनेस के क्षेत्र में दुनिया के सौ सबसे रचनात्मक लोगों में थोड़े गिनती है. सलमान खान ने सिनेमा को सफल बिजनेस का मॉडल बना दिया, चेतन भगत ने लेखन को.
 
आप कहेंगे कि मैंने शुरुआत में कहा था कि मैं चेतन भगत के नए उपन्यास ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ से की थी, तो इतना और अर्ज कर दूँ कि सलमान खान की 100 करोड़- 200 करोड़ बिजनेस करने वाली फिल्मों को देखने के बाद आप-मेरे जैसे दर्शकों को क्या हासिल होता है? चेतन भगत को पढ़ते हुए भी हासिल होता है तो बस यही कि सफलता का एक और नया फॉर्मूला. और सच बताऊँ हर बार एक ऐसा नया फॉर्मूला दे जाते हैं कि बस पढने वाले उसके सूत्र को खोजते रह जाते हैं.
 
न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि चेतन भगत भारत के अब तक के सबसे बिकाऊ लेखक हैं. सो इस उपन्यास से और पुख्ता होगा. ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की कहानी पर आता हूँ. ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ फिल्म से सीक्वेंस आधारित पटकथाओं पर फिल्म बनाने का जोर बढ़ा था. इस उपन्यास की कथा भी सीक्वेंस में हैं. पटना के चाणक्य होटल में लेखक को डुमरांव की खस्ताहाल रियासत का राजकुमार माधव झा मिलता है. उसके बाद कहानी दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में प्रवेश कर जाती है जहाँ माधव झा बास्केटबॉल के कोटे पर दाखिला पाता है, जहाँ रिया सोमानी उसके जीवन में आ जाती है, फिर चली जाती है.
 
कहानी का दूसरा सीक्वेंस डुमरांव में चलता है माधव झा जहाँ अपनी माँ रानी साहिबा के खस्ताहाल स्कूल में काम करने के लिए लौट जाता है एचएसबीसी के 50 हजार की नौकरी को लात मारकर. उसके स्कूल की हालत सुधारने के लिए बिल गेट्स का दौरा होने वाला होता उसके लिए माधव अंग्रेजी में भाषण देने के लिए पटना में अंग्रेजी सीखने के एक कोचिंग में दाखिला लेता है(कमाल है बन्दा स्टीफेंस में पढ़कर भी अंग्रेजी नहीं सीख पाया, जबकि वहां से सैंस ऑनर्स करने वाले मेरे दोस्त भी अंग्रेजी में गिटपिट करने लगते थे), और चमत्कार होता है अपने शादी से डेढ़ साल में छुटकारा पाकर रिया पटना आ जाती है उसे अंग्रेजी सिखाती है और जिस दिन उसके अंग्रेजी भाषण का फल यानी बिल गेट्स का दान मिलता है उसी दिन गायब हो जाती है.
 
उपन्यास की कहानी का तीसरा सीक्वेंस है न्यूयॉर्क का. डुमरांव से माधव झा रिया की तलाश में वहां चला जाता है. जाने से पहले रिया एक चिठ्ठी जो छोड़ गई थी और पहली बार उसको आई लव यु भी लिख गई थी. अपने पहले और सच्चे प्यार की तलाश में नायक को न्यूयॉर्क तो जाना ही था न. बस इतना सा हिंट था माधव को कि रिया का सपना था कि वह अपने माता-पिता, पति सबकी अकूत दौलत को छोड़कर न्यूयॉर्क में रेस्तरां में सिंगर बनेगी. बस बन्दा तीन महीना लगाता है और सच्चे प्यार को पा लेता है.
 
यही है एक ब्लॉकबस्टर उपन्यास लिखने वाले लेखक के नए ब्लॉकबस्टर उपन्यास की कहानी, जिसके एक पक्के ब्लॉकबस्टर फिल्म बनने का चांस है. इधर मैं ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ पर लिख रहा हूँ उधर टीवी पर खबर आ रही है कि इस पर फिल्म बनाने की घोषणा हो रही है और माधव झा के किरदार के लिए रणवीर कपूर या रणवीर सिंह से बात चल रही है.
 
हाफ गर्लफ्रेंड को फुल वाइफ बनाने में आजकल बड़े पापड बेलने पड़ते हैं. लेकिन एक बात है बन्दे ने रिसर्च अच्छा किया है. लिट्टी चोखा खाने के लिए वह मौर्या लोक जाता है, जहाँ सच में बहुत अच्छा लिट्टी चोखा मिलता है. लेकिन डुमरांव का राजा झा जी को बना कर गलती कर गए भगत बाबू. लेकिन फिक्शन में तो सब चलता है न.
 
260 पेज के उपन्यास को पढ़ें का यही हासिल है कि उपन्यास वही पढना चाहिए जिसे आप दिल्ली से पटना के डेढ़ घंटे की एक फ्लाईट में पढ़ सकें. कीमत भी कम हो और ड्रामा, मेलोड्रामा कम्बाइन हो, exotic लोकेशन हो, सुशी से लेकर लिट्टी चोखा तक सब हो, और हाँ अपने पटना वाला चाणक्य होटल हो, गाँव, देहात से लेकर न्यूयॉर्क के लाइफ की रंगीनी हो. अब 149 रुपये के उपन्यास में आ क्या चाहते हैं.
 
इतना सब कुछ एक उपन्यास में देने वाले चेतन भगत बाबा की जय हो.
 

 

वैसे और कुछ दिया हो या नहीं दिया हो भगत बाबा ने फिल्म के किसी लोकप्रिय डायलौग की तरह नई पीढ़ी को एक नया मुहावरा तो दे ही दिया है- हाफ गर्लफ्रेंड!  
 
      

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19 comments

  1. Well Written,…

  2. CHETAN BHAGAT KO PADH KAR HINDI KE GULSHAN NANDA KI YAD AATI HE, VE BHARTIY ENGLO INDIAN WRITERS ME GULSHAN NANDA HI HE.

  3. सुंदर आलेख !

  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति…

  5. Chetan Bhagat ji ke baare me jitna kaha jaaye kam hai wo ek behatareen lekhak hai …. Sunder aalekh !!

  6. badhiya hai
    novel nahi aapaka lekh 🙂

  7. अच्छा लिखा!

  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 05/10/2014 को "प्रतिबिंब रूठता है” चर्चा मंच:1757 पर.

  9. दिक्कत चेतन भगत से कम उनके इस फोर्मूले को अपना कर भारतीय साहित्य का और कबाड़ा करने वालों से ज्यादा है

  10. विश्वमोहन

    साहित्यिक अवमूल्यन की खाई में उतारने वाली पहली सीढ़ी है भगत की रचनाएं!

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