जिन्होंने भी पंकज दुबे का उपन्यास ‘लूजर कहीं का’ पढ़ा है वे यह जानते हैं कि उनके लेखन में गहरा व्यंग्य बोध है. अभी हाल में एआईबी रोस्ट नमक एक नए शो को लेकर खूब चर्चा-कुचर्चा हो रही है, श्लीलता-अश्लीलता को लेकर बहसें हो रही हैं. एक करारा व्यंग्य पंकज दुबे ने भी लिखा है. पढ़कर बताइयेगा- मॉडरेटर
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पिछले एक हफ्ते में देश में हमारे नयन सुख की काफी चलती रही है। एक तरफ हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बड़े भाई तुल्य अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को बुला कर दिल्ली में मीना बाजार की याद ताज़ा करा दी वही दूसरी तरफ (एआईबी आल इंडिया बकचोद) नामक बहुचर्चित ह्यूमर फैक्ट्री ने हास्य व्यंग के मुखौटे में पश्चिम से आयातित ट्रेंड ‘इंसल्ट ह्यूमर‘ का अपने देश में भी श्रीगणेश कर दिया।
जिस किसी भी तरह से हँसाने की कोशिश करने वाली विधा का नाम रखा गया, एआईबी (अखिल भारतीय बकचोद ) रोस्ट ।
यह फॉर्मेट भले ही विदेशी कहकर ख़ारिज किया जा रहा हो, मगर गलियां विशुद्ध देशी थी और शायद इतनी स्वीकार कि दिल्ली में तो बाप लोग बेटियों से सामने बोल लेते हैं|
अरे! हमारे देश में गाली – गायन की भी तो एक पुरानी परंपरा है; कुछ मस्त गाली गीत लोकगीत परंपरा में जरूर संकलित होंगे|
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