आज महान लोक गायिका रेशमा की पुण्यतिथि है. उनको याद करते हुए लेखिका, गायिका मालविका हरिओम ने यह दिल को छू लेने वाला लेख लिखा है. साथ में मालविका जी की आवाज में रेशमा का मशहूर गीत-‘चार दिनों का प्यार ओ रब्बा’- मॉडरेटर
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सहरा–सहरा, रेतीलीपगडंडियोंपरचलतीऔरजलती, तप–तपकरसोनाबनतीहुईकलानेजिसकलाकारकोनवाज़ा, साधा, रूखीगर्महवाओंनेजिसकेसुरोंकोदिन–रात माँजने का काम किया और शाख सेटूटतेपत्तोंकीचटखननेजिसकेबोलोंकोतालबख़्शी, उसबेमिसालगायकीकोजीनेवालीआवाज़एकहीथी, जिसकानामथारेशमा।अपनेनामकेठीकउलटउनकीआवाज़मेरेशमजैसाकुछभीनथा।नतोवहआवाज़ मुलायम थीऔरनहीबारीक।रेशममेभरेजानेवालेलाल–पीलेरंगभीवहाँनदारदथे।उसआवाज़मेअगरकुछथातोवहथाजंगलीपेड़ोंकीमादक महक, ऊबड़–खाबड़औरपथरीलेरास्तोंका नुकीलापन, बंजरज़मीनोंपरफूटतीहुई दरारों की थाप, दूर क्षितिजतकपसरेनिचाटरेगिस्तानी सन्नाटे की सदा औरकाले, घनेबादलोंकेबीचचमकतीबिजलियोंका–सारंग।कुदरतनेरेशमाकोअपनीसोहबतकाजोअप्रतिमतोहफ़ाप्रदानकियावैसाकमहीकलाकारोंकोनसीबहोताहै।इसमामलेमेरेशमाखुशनसीबसाबितहुईंऔरउन्हेंसुननेवालेभी।रेशमाकीआवाज़केबहानेहमसभीकोप्रकृतिकेनिकटजानेका, उसकेकण–कणमेबसनेऔरबहनेवालेसंगीतकोसुननेकाअवसरमिला।
रेशमा आजहमारेबीचनहींहैंलेकिनवहबंजाराआवाज़जोबन्दिशोंकोगातेहुएभीकभीबन्दिशोंमेक़ैदनहुई, हमारेलिएसंगीतकेनएपैमानेतयकरतीहै।कोईभीकलाव्यक्तिकोआज़ादकरनेकीएकपहलहै।उसकलाकोसाधनादरअसलमुक्तहोनाहीहै।इनअर्थोंमेरेशमाएकसच्चीकलाकारथीं।आजकेइसदौरमेजबकलाएँसाधनानहोकरसाधनबनगईहैं, साधनजीविकोपार्जनका, साधनकमसमयमेप्रसिद्धिअर्जितकरलेनेरूपीचाहतोंका, तोऐसे
किसी पहाड़ी झरने जैसी आवाज़ की मलिका थी रेशमा जी
Lekh bahut hi mehnat se dilki gahraeo me doob kar likha gaya hai
जय हो लेखनी |
रेशमा जी पर लिखा लेख बहुत ही अच्छा था।
ऐसी अपरूप भाषा बहुत दिनों के बाद पढ़ने को मिली। प्रभात जी, शुक्रिया।
रेशमा जी की पुण्य-तिथि पर सादर-नमन। रेशमा जी को सुनना तो हमेशा से अच्छा लगता ही है, आज मालविका जी का लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा। आज लोकगीतों का अभाव सा हो गया है, ऎसे में मालविका जी का लेख बहुत जरूरी हो जाता है। आभार।
…रेशमा जी को याद करते हुए मालविका हरिओम जी द्वारा लिखित सार्थक आलेख प्रस्तुति हेतु आपका आभार! एवं इसके साथ ही
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं !
जय मां हाटेशवरी….
आप ने लिखा…
कुठ लोगों ने ही पढ़ा…
हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े…
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना….
दिनांक 04/11/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ….
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है…
इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं…
टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है….
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ…
कुलदीप ठाकुर…
रेशमा जी की पुण्यतिथि पर मालविका जी का यह लेख बेहद ज़रूरी था। कुछ और करीब से हमें रेशमा जी को जानने का मौका मिल पाया। प्रभात जी धन्यवाद इस जानकारी को हम तक पहुँचाने के लिए। मालविका जी…गुड जॉब…रियली अप्प्रेशबल