Home / ब्लॉग / पाकिस्तान ना हुआ मानो सगी ख़ाला घर हो गया

पाकिस्तान ना हुआ मानो सगी ख़ाला घर हो गया


बहुत दिनों बाद सदफ़ नाज़ ने व्यंग्य लिखा है. और क्या लिखा है! तंजो-ज़ुबान की कैफियत पढने लायक है- मॉडरेटर 
======= 
ये जो पुरजोश-छातीठोक,धर्म-राष्ट्र बचाओ किस्म के लोग हैं, आए दिन किसी न किसी को पाकिस्तान भेज रहे हैं। वह भी बिना बैग-बैगेज और वीज़ा-पासपोर्ट के। यह सब देख कर ऐसा लगने लगा है कि पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क नहीं बल्कि इनकी सगी ख़ाला का घर गया है! जब मन चाहा किसी के भेज दिया और फोन कर दिया कि ख़ाला कुछ बंदे भेज रहा हूं इनकी अच्छे से ख़ातिर करिएगा । नानसेंस!

भईया आप जो धड़ाधड़ सिकुलरों और उन सारे ऐन-ग़ैन (जो आजकल आपकी आंख की किरकिरी बन बैठे हैं), को पाकिस्तान भेज रहे हैं, ज़रा पाकिस्तान वालों से भी तो पूछ लेते कि इस मामले में उनकी क्या राय है? क्या वो इन भेजे हुए लोगों के लिए पलके बिछा कर बैठे हैं? हालांकि इन्हें वहां रवाना करने को लेकर आपलोगों के जोश को देखकर मन में ख़्याल आता है कि कहीं आप लोगों का उधर के पुरजोश-छातीठोक और धर्म-राष्ट्र बचाओ वालों से कोई गुपचुप गठबंधन तो नहीं हो गया है (मने इस लिए कह रहे हैं कि यह जगजाहिर है कि उधर वाले पुरजोश-छातीठोक,धर्म-राष्ट्र बचाओ किस्म के सियासतदान और उनके होते-सोते भी आप जैसे ही सिकुलरों और ऐन-ग़ैन को लेकर हमेशा एख़्तेलाज के शिकार रहते हैं)?

 कहीं उन्होंने ही तो आपको राय नहीं दी कि भाई आप उधर से बंदे पार्सल कीजिए हम इधर से करते हैं, देखिएगा दोनों तरफ़ की मिडिया कैसे चौबीस घंटे हफ्ते भर कवर करेगी हमें। साथ ही हमारी सरकार की फेल्योर पॉलीसीज़, मंहगाई और भ्रष्टाचार वग़ैरह की तरफ जनता का ध्यान भी नहीं जाएगा!”

 वैसे मान लिया कि राष्ट्र को बदनाम करने वाले इन कमबख्तों को आप वहां सेंट भी कर देते हैं तो पहला ख़दशा तो यही है कि वे लोग आपके भेजे आईटम को रखेंगे भी या नहीं? अगर ख़ुदा-ख़ुदा करके रख भी लिया तो जाने कब उनकी दिमाग की बत्ती लाल हो जाए ( आपकी तरह) और अचानक सब को पैक कर-करा कर वापस बार्डर के इस पार पार्सल करवा दें ? ऐसा हुआ तो नया ऑप्शन ढूंढने के लिए आप लोगों को दुबारा मेहनत करनी पड़ जाएगी। नहीं…नहीं! अगर आप पड़ोसी चीन पर विचार कर रहे हैं तो इसे भूल जाईए वहां आपको मायूसी मिलेगी। चीन की दीवारें काफी ऊंची हैं। पहले तो उधर पार्सल करवाना ही मुश्किल है और दूसरी उनके साथ आपको गाली गलौज में कम्नीकेशन प्रॉब्लम भी झेलना पड़ जाएगा,ट्रांसेलटर रखना पड़ेगा,बेकार में खर्च बढ़ जाएगा। यूं भी आप तो ज़बानी जमाखर्ची पर यकीन करते हैं। रहा बंग्लादेश, वहां भिजवाया तो हमेशा डर लगा रहेगा कि कब ये मुए सिकुलर औऱ ऐन-ग़ैन बार्डर की कंटीली तारें ऊंची कर के वापस इधर फलांग कर वापस आ जाएं!

यहां हमारी ख़बरों की शौकीन जुब्बा ख़ाला को जब से पता चला है कि लोगों को पाकिस्तान भेजने की कोशिशें हो रही हैं तब से बिचारी हर किसी से कहती फिर रही हैं कि, माशाल्लाह से ये राष्ट्र-धर्म बचाओ वाले इतने ज़हीन और रसूख वाले बच्चे हैं। ऊपर तक पहुंच है इनकी, अगर भेजना ही चाहते हैं तो सारे करमजलों को दुबाई-कतर-इंग्लैंड-जर्मनी रवाना कर दें, मैं तो कहती हूं कि अमेरिका ही पार्सल करवा दें ओबामा भी अच्छा बच्चा है, पिछली बार आया था तो कैसे भाई-भाई कर रहा था । मुरव्वत में बिचारा इन नंहजारों को रख ही लेगा। दूरी रहेगी तो ये कूद-फांद कर आने की कोशिश भी नहीं करेंगे! आप लोगो का भी सुकून बना रहेगा।

वैसे कभी आपने सोचा है कि अगर पाकिस्तान हमारा पड़ोसी न होता तो हमारे पुरजोश-छातीठोक, धर्म-राष्ट्र बचाओ किस्म के सियासतदानों और उनके होतों-सोतों का क्या हुआ होता, उनकी सियासत का ऊंट किस करवट लोटता? हमारे यहां पाकिस्तान के नाम पर सन सैंतालिस के बाद आए दिन जो जूतम-पैजार और लट्ठम-लट्ठा होता रहता है उसका क्या होता? मुफ़्त के इतने दिलचस्प तफ़रीह से तो हम महरूम ही रह जाते? ऊपर वाले का करम है कि हमें ऐसा पड़ोसी मिला है कि जब मन ऊबा उसके नाम पर किसी के मुंह पार कालिख पोत दी, उस के नाम पर ख़ुद अपने मुल्क की मेहनत और लाखों के खर्चे वाली पिच खोद दी, नहीं तो किसी कलाकार पर ही हो हल्ला कर लिया और ऐसा कर के ढ़ेरों ऊबे हुए राष्ट्रवादी दिल मिनटों में फ्रेश हो गए। किसी अलाना-फलाना-ढिमकाना को धर्म-राष्ट्र प्रेम का राष्ट्रीय स्तर का एख़्तेलाज उठा सब ने कोरस में पाकिस्तान को गालियां सुना दीं। लीजिए जनाब सारा फ्रसटेशन रफूचक्कर !!

वैसे मुझे तो लगता है ये धर्म-राष्ट्र प्रेमी दरअसल पाकिस्तान से नफ़रत करने का सिर्फ़ दिखावा करते हैं। असल में भीतर ही भीतर उन्हें प्यार करते हैं। बल्कि मन ही मन शुक्रिया के टोकरे भी भेजते होंगे। उनका ऐसा करना वाजिब भी है। क्योंकि आप देखिए जब-जब इन पुरजोश-धर्म-राष्ट्र बचाओ सियासतदानों की सियासी नैया अगमगाती-डगमगाती है पाकिस्तान नाम भजते ही किनारे आने लगती है। उधर सोती-उंघती अवाम को सब्ज़ी-दाल मंहगी लगी, सड़क के गड्ढ़े जान लेवा महसूस हुए, टूजी-थ्रीजी-व्यापम की एबीसीडी समझ में आने लगी, और अवाम सरकार से सवाल करने के लिए अंगड़ाई लेकर उठने वाली ही होती है कि तभी पड़ोसी की बेटी के प्रेम प्रसंग की तरह पाकिस्तान औऱ आतंकवाद का प्रसंग छम से सामने आ जाता है(या ला दिया जाता है)। बिचारी अवाम आटा-दाल और भ्रष्टाचार भूल-भाल कर पड़ोसी पाकिस्तान के इतिहास-भूगोल और उसकी सियासी पेचीदगियों की थ्योरी सुलझाने में बीज़ी हो जाती है। रात दिन मीडिया के साथ सोच-सोच कर हलकान होती है कि पाकिस्तान एक कैसे सुई तक नहीं बना सकता है, आज भी वहां लोकतंत्र का बुरा हाल है। नासपीटे अब-तक फौजियों के गुलाम हैं। मज़हबी कट्टरता ने वहां नास किया हुआ है वग़ैरह-वगैरह। वैसे ज़ाहिर है कि जब पड़ोसी के घर में इतनी बड़ी-बड़ी समस्याओं का अंबार लगा हो तो दूसरा पड़ोसी अपनी ज़िंदगी की समस्याओं में कैसे उलझा रह सकता है? उसका फर्ज बनता है कि पड़ोसी की मुश्किलों पर चिंतन-मनन करे। यूं भी अपने घर की परेशानियों का क्या है वो तो घर की मुर्गी दाल बराबर उसे कभी भी सुलझाया-उलझाया जा सकता है।

हलांकि हमारे बुकरात भाई इन सब को एक अलग एंगल से देखते हैं, और अक्सर कहते हैं कि मोहतरमा मान लीजिए अगर ( हलांकि मैं मानती नहीं हूं) अंग्रेज़ हिंदू-मुसलमान को लड़वाने का शैतानी कार्ड नहीं खेलते, सन सैंतालिस में पार्टीशन वाला हादसा नहीं होता, जिन्ना और नेहरू में दोस्ती हो गई रहती और दोनों गलबहियां डाल कर घूमते-घूमते डिसाइड कर लेते कि नहीं जनाब ख़ामाख्वाह में अलग क्या होना? अपन दोनों भाई राजी खुशी मिलजुल कर हिंदुस्तान को तरक्की की राह में आगे बढ़ाएंगे! तो सोचिए दोनों तरफ़ के इन पुरजोश-छातीठोक धर्म-राष्ट्र बचाओ सियासतदानों का क्या होता, इनकी सियासत किस करवट होती ? और आज ये सेकुलर मुल्यों के मारों,तथाकथित लेखकों-कलाकारों और आंख की किरकिरी ऐन-ग़ैन को कहां भेजते ?” सोचिए सोचिए.. आप भी सोचिए.. सोचने में क्या जाता है!

बाकी सब बढ़िया है, खाकियत का डंडा विरोधियों पर यूं ही बरसता रहे! आखिर में बस इतना, इंटॉलरेंस किस चिड़िया का नाम है.. आप ने कहीं देखा है उसे उड़ते हुए ?
 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-10 अंतिम

आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात …

10 comments

  1. Sadharan rachana hai

  2. गज़ब वाणी उर्दू भी शामिल |

  3. andaaz badhiya hai !

  4. Very nice.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *