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ड्रामा स्कूल में ड्रामे का ड्रामा

 जाने माने पत्रकार आशुतोष भारद्वाज हिंदी के अच्छे कथाकार भी हैं. उन्होंने अपना पहला उपन्यास लिखा है. उसका अंश पहली बार जानकी पुल के पाठकों के लिए उन्होंने साझा किया है- मॉडरेटर 
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ड्रामा स्कूल के सभी विद्यार्थियों में तुमने उन दोनो को ही क्यों अपना किरदार बनाया, इसकी वजह तो तुम्हें एकदम स्पष्ट होगी; लेकिन तुम यह समझना नहीं चाहते होगे कि आखिर क्यों तुम्हारी वर्णमाला से अक्षर गायब होते जा रहे हैं, क्यों तुम्हारी हालत उस व्यक्ति की तरह हो गयी होगी जो टाइप करना सीख रहा है, सहसा पाता है कि अनेक अक्षर कीबोर्ड के तिलिस्म में खोये हुये हैं, खोजने से भी नहीं मिलते। एक अद्भुत विचार उसके भीतर कुलबुला रहा होगा, वह एक विराट इबारत लिख देना चाहता होगा लेकिन पूरा दिन बुनियादी अक्षरों को ही खोजता रहेगा। कुछ दिन बाद वह विचार अभिव्यक्ति के अभाव में उससे छिटकने लगेगा, उसे अपने विचार की आंच पर शुबहा होगा, उसे अपनी जिंदगी एक कीबोर्ड नजर आयेगी जिसकी काया के भीतर वह अपनी हसरतों की वर्णमाला टटोलता रहेगा।
पहाड़ पर बने ड्रामा स्कूल के उस छोटे से ऑडिटोरियम के मंच पर तुम तीनों खड़े होगे। तुम, तुम्हारे सामने मुस्तकीम और अनन्या। उन दोनो को नहीं मालूम होगा कि जिन शब्दों को तुम कल तक बेबाकी से बरतते रहे होगे, वे सहसा तुम्हारे जीवन से लुप्त होते जा रहे होंगे, और वे दोनो उन खोये शब्दों को खोजने की तुम्हारी प्रक्रिया के माध्यम होने जा रहे होंगे। ऑडिटोरियम से थोड़ा आगे उतरती हुई पहाड़ी ढलान होगी, जिसके बीच एक पगडंडी जंगली चट्टानों और वृक्षों से गुजरती नीचे नदी तक जाती होगी। ऑडिटोरियम की खिड़की के टूटे कांच पर पहाड़ पर अंधेरे में टिमटिमाते घरों की बारीक रोशनियाँ आ ठहरी होंगी।
याद है न, क्या रोल है आपका या फिर से बतला दूँ?
मुस्तकीम ने सिर हिला दिया।
तो ठीक है, शुरु कीजिये।
मुस्तकीम अपनी जगह से दो कदम पीछे गया, अनन्या चार कदम पीछे, दोनो कुछ पल रुक एकदूसरे की ओर तीन कदम आये। तुम मंच से नीचे उतर आये। दीवार पर लगा स्विच ऑफ कर दिया, अब मंच पर सिर्फ एक हैलोजीन चमक रही होगी। ऑडिटोरियम की दीवार पर टंगे तीन मुखौटे अंधेरे में खो जायेंगे। नंगा मंच, कोई फर्नीचर नहीं — मुस्तकीम के भीतर हल्की सिहरन उठेगी। कुँआरे मंच की छुअन। तुम मंच के ठीक सामने पहली पंक्ति में बैठे होगे। तुम्हारी निगाह दोनो पर ठहर जायेगी, कोई इस दृश्य को देखेगा तो उसे लगेगा कि तुम्हारी आँखों से निकलती रोशनी उन दोनो को चीरती, ऑडिटोरियम की दीवार को फोड़ती बाहर निकल पहाड़ों से जा टकरा रही है।  
इस पहाड़ी पर यह ऑडिटोरियम पेड़ पर किसी मचान की तरह टिका था। चार दीवारों के ऊपर टीन का छप्पर। हाँलांकि तुम्हें इस पहाड़ी गाँव में स्थित ड्रामा स्कूल में आये महीना भर होने को आया था, तुम्हें अभी भी यह ख्याल बना रहता था कि जरा जोर की आँधी आई तो यह ऑडिटोरियम भरभरा कर ढह जायेगा, नीचे खाई में लुढ़क जायेगा। दीवार न भी ढही तो टीन का छप्पर तो उड़ ही जायेगा, ड्रामा स्कूल के सभी विद्यार्थी उसके चिथड़ों को खोजने पहाड़ी जंगल में जायेंगे। कुल सत्रह विद्यार्थी थे इस स्कूल में, जब सभी एक साथ जंगल में निकलते थे तो एक छोटी सेना का भ्रम होता था। 
मुस्तकीम घुटनों के बल मंच पर बैठा होगा, अनन्या कुछ कदम दूर से उसे देखती होगी। मुस्तकीम फर्श पर पड़ी किसी काल्पनिक चीज को गौर से देख रहा होगा, उसकी आँखों में पहले विस्मय, फिर बारीक भय उतरेगा, अनन्या उसके करीब आ जायेगी, दोनो एक दूसरे को कुछ पल देखते रहेंगे।
मुस्तकीम ने फर्श को आहिस्ते से सहलाया, मानो फर्श पर कोई लेटा हो।
मेरा बेटा था यह। हत्यारों ने पहले गोली चलाई, फिर भी सांस बची रही तो चाकू से गोद दिया — यह देखिये, छाती पर चाकू का निशान।
यह उन लोगों का साथी नहीं था?
उन लोगों का? झूठ बोलते हैं सब। आप हत्यारों की बात जरा भी न सुनिये।  
मुस्तकीम ने फर्श पर उँगलियाँ फिरायीं, उसकी उँगलियों पर एक ताजा लाश का लहू बह आया ।
कोई सबूत है आपके पास?
आप पूरे गाँव में किसी से भी पूछ लीजिये।
पूछ तो मैं लूँगा, उसके अलावा कुछ और हो तो…
अनन्या मंच के अंदर  जायेगी, एक पुराना स्कूल का बस्ता ले आयेगी, उसे खोल देगी…कॉपी, किताबें फर्श पर बिखर जायेंगी। यह देखिये…स्कूल जाता था। गाँव के बाहर, थाने के पीछे वाला स्कूल। क्या पुलिस थाने के पीछे स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा उन लोगों का साथी हो सकता है?
मुस्तकीम उन कॉपियों को टटोलेगा। एक कॉपी में लिखा होगा —– “Thy, Thou, Thee का प्रयोग पुरानी अंग्रेजी में किया जाता था। अब ऐसे शब्दों से बचना चाहिये। लेकिन कविता में या ईश्वर के लिये इनका प्रयोग कर सकते हैं।
मुस्तकीम इस इबारत को बोल कर पढ़ेगा, उसके चेहरे के भाव सहसा बदल जायेंगे। कॉपी के ऊपर लिखा होगा — लच्छू मंडावी, कक्षा आठ।  
यह इस बच्चे ने लिखा है?
अनन्या सिर हिला देगी। मुस्तकीम देर तक कॉपी के उस पन्ने को देखता रहेगा। अनन्या उससे कुछ कहेगी लेकिन उसका ध्यान उस पन्ने पर ही अटका रहेगा।
आप कह रहीं हैं यह बच्चा कभी इस गाँव से बाहर नहीं गया था?
अनन्या ने सिर हिला दिया।
यह चीजें गाँव के स्कूल में पढ़ाते हैं क्या? मुस्तकीम ने वह पन्ना अनन्या को दिखाया।
अनन्या ने उसके हाथ से कॉपी ले ली, पन्ने पलटती रही, उसके चेहरे से लगा कि वह पढ़ना नहीं जानती।
मुस्तकीम बस्ते की अन्य कॉपियाँ टटोलेगा…यह कुछ और भी लिखता था क्या? कोई डायरी वगैरा?   
अनन्या को कुछ समझ नहीं आयेगा। मुस्तकीम फिर से उसी कॉपी को टटोलेगा।
पूरे ऑडिटोरियम में अंधेरा होगा, सिर्फ वे दोनो स्याह आकाश में दो सितारों की तरह हैलोजीन की रोशनी में मंच पर चमक रहे होंगे। मुस्तकीम उसके बस्ते को खोल कर फर्श पर रख देगा। एक एक कॉपी पलटेगा, हरेक पन्ने में लिखी इबारत को निगाहों से टटोलेगा। जब देर तक भी मुस्तकीम सिर नहीं उठायेगा, अनन्या आगे चलती हुयी मंच की कगार पर आ जायेगी, नीचे बैठे तुम्हें देखेगी। अनन्या को देख लगेगा कि मुस्तकीम शायद अपने रोल से बाहर आ गया है, वह तुमसे पूछना चाह रही है कि क्या किया जाये। अनन्या का चेहरा यह भी कह रहा होगा कि यह नयी बात नहीं है, मुस्तकीम इस दृश्य पर पहले भी अपने किरदार से बाहर निकल गया होगा। वह थक कर मंच पर बैठ जायेगी। तुम कुछ पल प्रतीक्षा करोगे, सहसा मुस्तकीम उस कॉपी को ले आगे आ जायेगा, मोनोलॉग की मुद्रा में बोलने लगेगा
यह पंद्रह साल का एक आदिवासी बच्चा था। जंगल में रहता था, शायद ही कभी अपने गांव से बाहर गया हो। गांव के ही स्कूल में पढ़ता था। इसकी कॉपी में यह लिखा हुआ है —- Thy, Thou, Thee का प्रयोग पुरानी अंग्रेजी में किया जाता था। अब ऐसे शब्दों से बचना चाहिये। लेकिन कविता में या ईश्वर के लिये इनका प्रयोग कर सकते हैंकिसने इस बच्चे को यह सिखाया होगा? दूर दूर तक शायद ही किसी को Thy, Thou, Thee का अर्थ पता होगा। मैंने यह कॉपी इसके स्कूल के अध्यापकों को भी दिखाई हैकिसी को समझ नहीं आया कि आखिर इसकी कॉपी में यह क्यों लिखा हुआ था, आखिर कैसे इसने यह लिख दियाक्या यह कविता लिखता था? मैंने इसकी बाकी कॉपियाँ देखी हैं, किसी में कहीं कोई संकेत नहीं हैयह अकेली इबारत आखिर कहाँ से आयी?”
मुस्तकीम बोलता रहेगा, इससे बेखबर कि अनन्या बगल में खड़ी उसे सुन रही है। तुम आखिर में उठ कर बिजली जला दोगे, पूरे हॉल में कई सारे बल्ब चमक उठेंगे। तुम कुर्सी से उठ मंच के करीब आ जाओगे।
क्या हुआ मुस्तकीम?
मुस्तकीम तुम्हें देखेगा, चुप रहा आयेगा। तुम विस्मय से सिर हिलाओगे।
रहने दो इसे, तुम हाथ बढ़ाओगे, मुस्तकीम तुम्हें कॉपी दे देगा। तुम उसे बंद कर पीछे अपनी कुर्सी पर पटक दोगे। 
जहर के रंग वाला करते हैं, याद है न पूरा?
दोनो ने सिर हिला दिया।
दो मिनट का ब्रेक लो, मंच के दो चक्कर लगाओ, फिर करते हैं।
मुस्तकीम और अनन्या पूरे मंच की परिक्रमा की, अपनी जगह आ खड़े हो गये। तुम फिर से बत्ती बुझाओगे, पूरे हॉल में अंधेरा, मंच पर फिर से हैलोजीन चमक उठेगी। मुस्तकीम और अनन्या मंच के दो विपरीत छोर पर चले जायेंगे। उन दोनो को तब तलक नहीं मालूम होगा कि वे दोनो मेरे जीवन पर लिखे जा रहे तुम्हारे उपन्यास के किरदारों की भूमिका निभा रहे होंगे, कि वे दोनो तुम्हारे लिये महज आख्यायकीय औजार होंगे, तुम उनके जरिये अपने आख्यान का निर्वाह कर रहे होगे।
***
कुछ पल बाद अनन्या चलती हुई आयेगी, हैलोजीन के प्रकाश से थोड़ा दूर घुटनों में सिर दिये फर्श पर बैठ जायेगी। मुस्तकीम दूसरे छोर से आयेगा, उसके हाथ में एक नोटबुक होगी। वह अनन्या के करीब आ रुक जायेगा, लिखने की मुद्रा में अपनी नोटबुक और पैन का ढक्कन खोल लेगा।
आपके पति के भाई ने मुझे सब कुछ बताया।
अनन्या सिर नहीं उठायेगी। मुस्तकीम नोटबुक में कुछ लिखेगा।
मैं आपसे थोड़ी देर बात कर सकता हूँ?
अनन्या सिर नहीं उठायेगी। मुस्तकीम नोटबुक में कुछ लिखेगा।
आपने अपने पति की बॉडी देखी थी न?
अनन्या सिर नहीं उठायेगी। मुस्तकीम नोटबुक में कुछ लिखेगा।
पुलिस का कहना है कि उन्होंने जहर खा लिया था…आपको मालूम है न कि जहर के बाद आदमी के शरीर का रंग बदल जाता है…आपको याद है उनके चेहरे का रंग? कुछ बदला सा लग रहा था क्या?
 
      

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6 comments

  1. इस उपन्यास का शीर्षक क्या है

  2. वाह

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