हमारा स्कूली कवि अमृत रंजन नई कविताओं के साथ हाजिर है. उसकी कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता जो मुझे लगती है कि वह किसी की तरह नहीं बल्कि अपनी तरह लिखना चाहता है. इस बालक से यह हुनर आज के युवा कवियों को सीखना चाहिए कि वे वरिष्ठ कवियों की तरह लिख लिख कर झटपट अमरता के फेर में पड़ जाते हैं- मॉडरेटर
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तुम्हारे सात दुपट्टे
आसमान के सात रंग
मेरी ही करतूत हैं।
जी हाँ!
अचंभित?
यह वही सात दुपट्टे हैं,
जो हर दिन हवा में फेंका करता था।
मुझे क्या पता था
कि तुम्हारे यही लाल, पीले, नीले, हरे, बैंगनी दुपट्टे
आसमान का मन मोह लेगी।
कमाल कर दिया।
आजकल भी बरसात के बाद,
आसमाँ से रुका नहीं जाता
उन दुपट्टों को चूमने से।
हम भी दृश्य का मज़ा लेते हैं!
(
०१ मई २०१६)टूटे सात रंग
क्या आपने रंगीला आसमान देखा है?
मैेने देखा है।
एक बूँद जो सात रंगों में बदल कर
आसमान में पानी की तरह फैल जाते हैं। बहुत खुश नज़र आता है आसमान
लेकिन,
जैसा सब जानते हैं,
हर दुःख खुशी की चादर ओढ़े रहता है।
क्या यह रंग आसमान के आँसू हैं?
या केवल यह पानी है?
मैं नहीं जानता।
लेकिन यह जानता हूँ
क्या यह रंग आसमान के आँसू हैं?
या केवल यह पानी है?
मैं नहीं जानता।
लेकिन यह जानता हूँ
कि आसमान दुःखी है।
यह सात रंग खुशी के तो नहीं हो सकते।
खुशी खुद में बँटती नहीं।
अगर यह खुशी के रंग होते
तो आसमान इन्हें बाँटता नहीं।
हम सबके मन के बगीचे में
एक डर का बीज आया है,
अनजाने में,
हमने इस बीज को
पेड़ में बढ़ाया है।
जानते हैं हमने इस डर के बीज
का क्या नाम दिया है
यह सात रंग खुशी के तो नहीं हो सकते।
खुशी खुद में बँटती नहीं।
अगर यह खुशी के रंग होते
तो आसमान इन्हें बाँटता नहीं।
(
२८ अप्रैल २०१६)डर का बीज
हम सबके मन के बगीचे में
एक डर का बीज आया है,
अनजाने में,
हमने इस बीज को
पेड़ में बढ़ाया है।
जानते हैं हमने इस डर के बीज
का क्या नाम दिया है
“भगवान”।
सब कहते हैं कि
वह भगवान से प्रेम करते हैं।
क्या जिसको कोई प्रेम करेगा,
उसके सामने गिड़गिड़ाएगा?
नहीं,
यह प्रेम डर का पर्याय है। डर से लथपथ हम
अंधविश्वास की गुफा में घुसते हैं
जिसका कोई अंत नहीं होता।
सब कहते हैं कि
वह भगवान से प्रेम करते हैं।
क्या जिसको कोई प्रेम करेगा,
उसके सामने गिड़गिड़ाएगा?
नहीं,
यह प्रेम डर का पर्याय है। डर से लथपथ हम
अंधविश्वास की गुफा में घुसते हैं
जिसका कोई अंत नहीं होता।
(2014)
हम हमेशा कहते हैं,
सच बोलो, सज्जन सच बोलते हैं,
लेकिन क्या हमने झूठ की कहानी
के पन्ने पलटकर देखे हैं?
नहीं! क्योंकि…
झूठ की कहानी सच ने लिखी है।
झूठ बोलने वालों की भी
पूजा की जा सकती है।
जैसे राम ने रावण की कहानी लिखी है,
अर्जुन ने दुर्योधन की कहानी लिखी है,
अहिंसक ने हिंसक की कहानी लिखी है,
वैसे ही…
सच ने झूठ की कहानी लिखी है।
हम नश्वरों की
यही बुरी बात है,
कभी बुरों की नज़र से
देखते ही नहीं।
(2014)
————–
बेहद खूबसूरत कविता मासूमियत और प्यार से लबालब ।
बहुत प्यारी कविताएं!
Vaah Amrit !! Khush raho!! Shukriya Jankipul!!
– Kamal Jeet Choudhary
ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ अमृत रंजन को । ऐसे ही कल्पनाओं की उड़ान भरते रहें । आपमें हमें अनंत संभावनाएँ दिखती हैं ।
ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ अमृत रंजन को । ऐसे ही कल्पनाओं की उड़ान भरते रहें । आपमें हमें अनंत संभावनाएँ दिखती हैं ।
बेहद प्यारा ………..शुभकामनायें !!