Home / ब्लॉग / रस्किन बांड की कहानी ‘अँधेरे में एक चेहरा’

रस्किन बांड की कहानी ‘अँधेरे में एक चेहरा’

रस्किन बांड ने भूतों-प्रेतों की अलौकिक दुनिया को लेकर अनेक कहानियां लिखी हैं. उनकी ऐसी ही कहानियों का संकलन ‘अँधेरे में एक चेहरा’ नाम से राजपाल एंड संज प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. अंग्रेजी से इन कहानियों का अनुवाद किया है युवा लेखिका रश्मि भारद्वाज ने. उसी किताब से एक कहानी- मॉडरेटर 
============

अंधेरे में एक चेहरा
 एंग्लो इंडियन शिक्षक मिस्टर ऑलिवर एक बार शिमला हिलस्टेशन के बाहर बने अपने स्कूल के लिए देर रात लौट रहे थे ।मशहूर लेखक रुडयार्ड किपलिंग के समय से भी पहले , यह स्कूल अंग्रेज़ी पब्लिक स्कूलों की तर्ज़ पर चल रहा था और यहाँ पढ़ने वाले बच्चे ब्लेज़र, टोपियों और टाई में सजे अधिकांशतः समृद्ध भारतीय परिवारों के थे । प्रसिद्ध अमरीकी लाइफ़ पत्रिका ने  एक बार भारत पर किए गए अपने फीचर में इस स्कूल की तूलनाइंग्लैंड स्थित प्रसिद्ध लड़कों के स्कूल इटेन से करते हुए इसे इटेन ऑफ ईस्टकी संज्ञा दी थी। मिस्टर ऑलिवर यहाँ कुछ सालों से पढ़ा रहे थे।

अपने सिनेमा घरों और रेस्तरां के साथ शिमला बाज़ार स्कूल से लगभग तीन मील दूर था और कुँवारे मिस्टर ऑलिवर अक्सर शाम को घूमने शहर की ओर निकल पड़ते थे और अंधेरा होने के बाद देवदार के जंगल से गुजरते छोटे रास्ते से स्कूल लौटते थे । तेज़ हवा चलने पर देवदार के पेड़  से निकलती उदास , डरावनी सी आवाज़ों की वजह से अधिकांश लोग उस रास्ते को नहीं इस्तेमाल कर मुख्य रास्ते से ही जाते थे । लेकिन मिस्टर ऑलिवर भीरु या कल्पनाशील नहीं थे । उन्होंने एक टॉर्च रखा हुआ था जिसकी बैटरी ख़त्म होने वाली थी ।  टॉर्च से निकलता अस्थिर प्रकाश जंगल के सँकरे रास्ते पर पड़ रहा था । जब उसकी अनियमित रोशनी एक लड़के की आकृति पर पड़ी, जो चट्टान पर अकेले बैठा हुआ था , मिस्टर ऑलिवर रुक गए । लड़कों को अंधेरे के बाद बाहर रहने की अनुमति नहीं थी।
तुम यहाँ  बाहर क्या कर रहे हो, लड़के?’मिस्टर ऑलिवर ने थोड़ी कठोरता से उसके पास जाते हुए पूछा ताकि वह उस बदमाश को पहचान सके । लेकिन उस लड़के की ओर बढ़ते हुए मिस्टर ऑलिवर को यह महसूस हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह लड़का रो रहा है। उसने अपना सिर झुका रखा था , अपने हाथों में उसने अपना चेहरा थाम रखा था और उसका शरीर झटकों के साथ हिल रहा था । वह एक विचित्र , आवाज़हीन रुलाई थी और मिस्टर ऑलिवर को साफ़ तौर पर थोड़ा विचित्र महसूस हुआ। 
अच्छा , क्या बात है ?’ उनकी आवाज़ में अब क्रोध की जगह सहानुभूति थी । तुम क्यों रो रहे हो?’ लड़के ने न उत्तर दिया न ऊपर देखा। उसका शरीर पहले की तरह खामोश सिसकियों के साथ हिलता रहा । अरे बच्चे ! हो गया , तुम्हें इस समय बाहर नहीं होना चाहिए । मुझे बताओ अपनी परेशानी। ऊपर देखो ! लड़के ने ऊपर देखा । उसने चेहरे से अपने हाथ हठाए और अपने शिक्षक की ओर देखा । मिस्टर ऑलिवर के टॉर्च की रोशनी उस लड़के के चेहरे पर पड़ी- अगर आप उसे एक चेहरा बुलाना चाहो तो ।
उस चेहरे पर आँखें, कान, नाक, मुँह कुछ भी नहीं था । वह बस एक गोल चिकना सिर था और उसके ऊपर स्कूल की टोपी पड़ी थी ! और यहीं पर यह कहानी ख़त्म हो जानी चाहिए थी । लेकिन मिस्टर ऑलिवर के लिए यह यहीं ख़त्म नहीं हुयी ।
उनके कांपते हाथों से टॉर्च गिर पड़ी । वह मुड़े और गिरते पड़ते हुए भी पेड़ों के बीच से तेज़ी से भागते हुये मदद के लिए चिल्ला रहे थे । वह अब भी स्कूल की इमारत की तरफ़ ही दौड़ रहे थे की उन्होने रास्ते के बीच में एक लालटेन झूलती हुई देखी। मिस्टर ऑलिवर चौकीदार से टकरा कर लड़खड़ाए और हाँफते हुआ सांसें लेने लगे। क्या बात है , साहेब?’चौकीदार ने पूछा । “ क्या  वहाँ कोई दुर्घटना हुई है?’ आप दौड़ क्यों रहें हैं?’
मैंने कुछ देखा – कुछ बहुत ही भयावह – जंगल में एक रोता हुआ लड़का – और उसका चेहरा नहीं था!
चेहरा नहीं , साहेब?’
आँख , नाक , मुँह – कुछ नहीं!
क्या आपका मतलब है कि वह ऐसा था साहेब?’ चौकीदार ने पूछा और रोशनी अपने चेहरे के ऊपर ले गया । चौकीदार के चेहरे पर ना आँखें थीं  , ना कान , कोई और अंग नहीं – यहाँ तक कि भवें भी नहीं । और तभी हवा चली और लैंप बुझ गया। 


 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-10 अंतिम

आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात …

7 comments

  1. आप का आभार इस अनुवाद को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए !!

    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "विवादित पर जानदार चित्रकार – मक़बूल फ़िदा हुसैन“ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !

  2. बहोत खूब…
    कहानी का अंत जबरदस्त था

  3. Badhiya kahani….सक्षिप्त भी

  1. Pingback: go to this website

  2. Pingback: Look At This

  3. Pingback: Arcade Game

  4. Pingback: bayer Primoteston

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *