आज कुछ छोटी छोटी कविताएँ अनुराग अन्वेषी की. पेशे से पत्रकार अनुराग जी जनसत्ता अखबार में काम करते हैं. स्वान्तः सुखाय कविताएँ लिखते हैं. प्रकाशन को लेकर कभी बहुत प्रयास करते नहीं देखा. लेकिन उनकी इन छोटी छोटी कविताओं का अपना आस्वाद है. आज वीकेंड कविता में पढ़िए- मॉडरेटर
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विवशता
मुंडेर पर
अब नहीं आती सोनचिरिया
कि मेरे घर पर
बहेलिए का कब्जा है।
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कमजोरी
मेरे घर पर
बहेलिए का कब्जा
दोष किसका?
शिकायत क्यों?
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प्रेम
सुनहले दिन, सुनहली रातें
मीठे बोल, मीठी बातें
अनगिन धागे, अनगिन वादे
खुशियों के पल, खुशियों की यादें।
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विरह
सूनापन, हताशा, चिड़चिड़ाया सा मन।
रूखे केश, रूखी बातें, रूखा तन।
सबकुछ अपना, सबकुछ पराया।
बदले की आग, खुद से भाग।
संदेह, जुगुप्सा, यंत्रणा, बेचैनी।
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नियति
हकीकत थी
सपने जैसी।
बन गई सपना।
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खाई
दो देह थे।
भरोसे का पुल था।
झूठ की चिनगारी निकली
सत्ता का झोंका आया
भरभरा कर टूटा
भरोसे का पुल।
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डर
चांद उतरता है हौले से
लिपटने को
कि खिड़की के पास खड़ा दरख्त
डराता है
चांदनी सिमटती है
चांद बौखलाता है।
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अवैध संतान
जब तक लोग नहीं जानते थे
कि तू मेरा है
मैंने तुझे खूब प्यार किया।
प्यार तो आज भी करती हूं तुझसे
पर अब लोक-लाज का डर है
कि तेरी नासमझी में
लोगों को दिखने लगी हमारी निजता।
इसलिए बरतती हूं दूरी
रखकर अपनी तमाम भावनाओं पर पत्थर।
देती हूं दिल को दिलासा
कि तू मेरी अवैध संतान है।
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इंतजार
अब भी पीता हूं बीड़ी
लाइटर से जलाकर
पर नहीं टोकता कोई मुझे
कोफ्त जताते हुए
कि ये चिट-चिट की आवाज से चिढ़ है मुझे।
सच कहूं तो उस चिढ़ी हुई आवाज से
मुझे आज भी है गहरा प्यार
हालत यह है
पूरी देह बन गई है कान
जो कर रही है इंतजार
सिर्फ यह सुनने को
कि फिर जला ली बीड़ी?
मुझे सख्त नफरत है इस चिट-चिट से !
तनाव
डगमगाई जिंदगी का
गहरा घाव देखा
डरी-डरी तेरी आवाज में
तनाव देखा
सहमी-सहमी स्त्री देखी,
डरा-डरा प्यार देखा
पितृसत्ता की धौंस देखी,
उसका ताव देखा।
तल्ख हकीकत देखी,
बिखरता सपना देखा
मुरझाया अनुराग देखा,
अंगद का पांव देखा
बेटी की रुलाई देखी,
मां की मजबूरी देखी
जिंदगी के भंवर में
डूबती-तैरती नाव देखी।
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बेटे का डर
ओ मां,
आशंकाओं का घेरा बड़ा है
इसीलिए नहीं पता
कि कब मारा जाऊं
बगैर कोई गुनाह।
बस एक गुजारिश है
कि अपराधी समझने से पहले
मुझे देखना जरूर गौर से
और तब तुम्हें
जो लगे
तय कर लेना।
क्योंकि जानता हूं
तेरी आंखें मुझे पढ़ती हैं
सच सच।
बहुत सशक्त…. सुन्दर शब्द