उन्होंने 16 साल की उम्र में भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी लिखी है. किताब का नाम है ‘द टीचर आई नेवर मेट’. इसका प्रकाशन इसी साल होने वाला है. कानपुर के रहने वाले ईशान का कहना है कि उन्होंने यह किताब पैसों या प्रचार के लिए नहीं लिखी है. बल्कि जब वे 11 साल के थे तब से उन्होंने राष्ट्रपति कलाम के बारे में पढना शुरू किया. उनके जीवन से वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने फैसला किया कि कलाम की जीवनी लिखी जाए. कलाम का व्यक्तित्व इतना प्रेरक है कि वे चाहते हैं उनके जीवन की कहानी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाई जाए. किस तरह एक गाँव में रहने वाला बालक कलाम देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचा. उनका जीवन अपने आप में किसी फेयरी टेल से कम नहीं है. इसीलिए उन्होंने किस्से कहानियां पढने की उम्र में कलाम के बारे में पढना शुरू किया, उनके बारे में जानकारियाँ इकट्ठी करनी शुरू की. अगले पांच साल में इतना हो गया कि उन्होंने कलाम की जीवनी लिखने का फैसला किया.
कानपुर के आईआईटी कैम्पस में केन्द्रीय विद्यालय में पढने वाले ईशान होनहार विद्यार्थी हैं और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे हैं, जीतते रहे हैं. सवाल यह है कि लिखना क्यों शुरू किया? उनका कहना है कि लिखने के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक बात पहुंचाई जा सकती है. फिर सवाल यह है कि कलाम साहब की जीवनी ही क्यों? उनके बारे में तो इतनी किताबें लिखी जा चुकी हैं. जवाब यह है कि सबसे पहली बात है कि वे देश की युवाशक्ति में भरोसा रखते थे और यह पहली किताब है जिसे लिखने वाला एक 16 साल का किशोर है. जीवन भर देश की सेवा में रहने वाले अब्दुल कलाम का जीवन ही सन्देश था. सारा जीवन उन्होंने पढने पढ़ाने में बिताया. उनका सन्देश जितने माध्यमों से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे यही उनके इस किताब का उद्देश्य है- जिनसे वे कभी मिले नहीं लेकिन जिनके व्यक्तित्व ने उनको सबसे अधिक प्रेरित किया.
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