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Tripurari

Poet, lyricist & writer

युवा शायर #1 सालिम सलीम की ग़ज़लें

जानकीपुल की नई पेशकश-युवा शायर। इस सीरीज के तहत उर्दू में लिखने वाले युवा शायर/शायरा की रचनाएँ प्रकाशित की जाएँगी। आप लुत्फ़ अंदोज़ हों। हौसला अफ़ज़ाई करें। आज पढ़ें पहला पोस्ट, सालिम सलीम की ग़ज़लें – त्रिपुरारि 1. कनार-ए-आब तिरे पैरहन बदलने का मिरी निगाह में मंज़र है शाम ढलने …

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हृदय दुनिया की सबसे कठोर वस्तु भी हो सकता है

यूँ तो हिंदी में ‘बनारस’ पर कई कविताएँ लिखी जा चुकी हैं। फिर भी, हर नया कवि उस शहर की ओर आकर्षित होता है। हर एक आँख उस शहर को अपनी नज़र से देखती है। हर एक दिल उस शहर को अलग तरह से महसूस करता है। अपना अनुभव बयान …

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शेषनाथ पांडेय की कहानी ‘तारीख़’

हिंदी के कई लेखक ऐसे हैं, जो कविता और कहानी दोनों विधाओं में समान अधिकार के साथ लिखते हैं। उनमें एक नाम शेषनाथ पांडेय है। साहित्य से इतर शेषनाथ, फ़िल्म/टीवी के लिए पटकथा भी लिखते हैं। फ़िलहाल मुबई में रहते हैं और दोस्तों के बीच अपनी दिलदारी के लिए बेहद …

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ऐसा नॉवेल, जिसे पढ़ने के लिए उर्दू सीखी जा सकती है

पिछले साल उर्दू में एक किताब छपी थी। नाम है- रोहज़िन, जो रहमान अब्बास का लेटेस्ट नॉवेल है। ग़ौर करने लायक बात ये है कि छपने से लेकर आज तक इस किताब ने उर्दू की गलियों में धूम मचा रखी है। किताब से गुज़रते हुए कई बातें ख़याल में आती …

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कैनेडियन लेखिका मारग्रेट एटवुड की कुछ कविताएँ

मारग्रेट एटवुड को आम तौर पर ‘ब्लाइंड असैसिन्स’ उपन्यास के लिए जाना जाता है. जिसके ऊपर उनको बुकर पुरस्कार मिला था. उनके उपन्यासों को पांच बार बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया जा चुका है. 77 साल की इस कैनेडियन लेखिका ने कविताएँ भी लिखी हैं. आज कुछ कविताएँ, जिनका …

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हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है / तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है

जो लोग उर्दू-हिंदी लिटरेचर से तआल्लुक़ रखते हैं, उनके ज़ेहन में होली के ख़याल के साथ नज़ीर अकबराबादी की नज़्म ‘होली की बहारें’ ज़रूर आती होगी। मन गुनगुनाने लगता होगा, ‘जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की’। ये बहुत मशहूर नज़्म है। लेकिन इसके अलावे भी उर्दू …

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औरतों की संगीतमय दुनिया ‘समरथ’

हुआ यूँ कि जानी मानी थिएटर आर्टिस्ट/लेखिका विभा रानी ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हुईं और अपनी मजबूत जिजीविषा के कारण इस बीमारी से उबर भी गईं। लेकिन बीमारी के दौरान वो अपने मन की बात काग़ज़ों पर दर्ज़ करती रहीं। वो बातें, एक कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई …

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मैं टूटा तो तुम ने मुझ को गले लगाया

औरत को लेकर हर किसी का अपना एक नज़रिया होता है। होना भी चाहिए। यहाँ तक कि ख़ुद औरतों का भी। कोई किसी से इत्तिफ़ाक़ रखे या न रखे, ये अलग बात है। आज पूरी दुनिया #WomensDay मना रही है। यहाँ भी आप सुबह से कई पोस्ट पढ़ चुके हैं। …

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थूका है मैनें ख़ून हमेशा मज़ाक़ में

हिंदी सिनेमा के दर्शक मुख्य रूप से दो तरह के लोग हैं। एक वो, जो पॉपुलर सिनेमा को पसंद करते हैं और दूसरे वो, जो सिनेमा में आर्ट की तलाश करते हैं। इन्हें शाहरुख़/सलमान के फ़ैन और इरफ़ान/नवाज़ुद्दीन के फ़ैन्स में बाँटा जा सकता है। ठीक इसी तर्ज़ पर उर्दू …

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शहबाज़ रिज़वी की ग़ज़लें

कहते हैं- इंसान उम्र नहीं तजरबा से बड़ा होता है। जो शायर अपने तजरबे को जितनी ख़ूबसूरती से क्राफ़्ट में ढालता है, उसकी शायरी उतनी ही चमक रखती है। मौजूदा वक़्त में जहाँ हर कोई अपने जज़्बात का बयान लिखकर कर ज़ाहिर करने पर अमादा है, ऐसे में बहुत कम …

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