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लेख

आप ‘वेबिनार कल्चर’ से बचे रहें, यही काफी है!

अजय बोकिल भोपाल में रहते हैं, संपादक हैं। उनका यह छोटा सा लेख पढ़िए- ================          हालत कुछ ऐसी ही है, आप ‘कोरोना’ से बच सकते हैं, लेकिन वेबीनार से नहीं। एक से पल्ला छुड़ाएंगे तो दूसरा जकड़ लेगा और चाहे-अनचाहे आपके वाॅ्टस एप पर लिंक डाल …

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  श्रीमती हेमन्त कुमारी देवी: उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध का स्त्री पक्ष

क्या उन्नीसवीं सदी को लेकर हिंदी साहित्य का जो विमर्श है वह इतना अधिक भारतेंदु हरिश्चन्द्र केंद्रित है कि अनेक लेखकों की उपेक्षा हुई? ख़ासकर लेखिकाओं की? युवा अध्येता सुरेश कुमार के इस शोधपरक लेख में पढ़िए- =====================  हिन्दी साहित्य में विमर्श के बिंदु भारतेन्दु की आभा के इर्द गिर्द …

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महात्मा गांधी के विचारों के आलोक में राजभाषा कार्यान्वयन

डॉ. बी. बालाजी मिश्र धातु निगम लिमिटेड में उप प्रबंधक (हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार) हैं। राजभाषा कार्यान्वयन के संदर्भ में उनका यह लेख पढ़िए- ==================== 15 अगस्त 1947 को बीबीसी के पत्रकार से  बातचीत के दौरान महात्मा गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “पूरी दुनिया से कह …

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हमें अपनी भाषाओं की ओर लौटना ही पड़ेगा

आत्मनिर्भरता का संबंध मातृभाषा से भी है। अशोक महेश्वरी ने अपने इस लेख में यह बताने की कोशिश की है कि जब काम करने वाले और काम कराने वाले एक ही भाषा भाषी होंगे तो उससे आत्मनिर्भरता का द्वारा खुलेगा। भारत में शिक्षा के विस्तार के लिए भी ज़रूरी है …

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आत्मनिर्भरता का  लक्ष्य और मातृभाषा में शिक्षा

अशोक महेश्वरी का यह लेख भारतीय भाषाओं में शिक्षा और आत्मनिर्भरता को लक्ष्य करके लिखा गया है। इस लेख में उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदु उठाए हैं, जैसे यह कि बाजार की दृष्टि से भारतीय भाषाओं का आकलन किया ही नहीं गया। भारतीय भाषाओं के बीच आपसी आदान-प्रदान के माध्यम से …

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हिंदी को नवजीवन कैसे मिले!

हिंदी दिवस आने वाला है। हिंदी की दशा दिशा को लेकर गम्भीर चर्चाएँ हो रही हैं। क्या खोया? क्या पाया? आज यह लेख पढ़िए जिसे लिखा है युवा लेखक और राजकमल प्रकाशन समूह के संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरुपम ने। भाषा के अतीत-भविष्य, सम्पन्नता-विपन्नता को लेकर उन्होंने कुछ गम्भीर बिंदु उठाए हैं …

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न कोई वास्को डि गामा होता न कोलंबस और न कोई इब्ने बतूता!

प्रज्ञा मिश्रा ने प्रवास के अनुभवों को लेकर बहुत दार्शनिक लेख लिखा है। वह इंग्लैंड में रहती हैं और जानकी पुल सहित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लिखती रहती हैं- ========== देवदास (संजय लीला भंसाली वाली) फिल्म में देवदास पारो से कहता है, “लंदन की तो बात ही कुछ और है, बड़े …

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उन्नीसवीं शताब्दी ‘स्त्री दर्पण’ और स्त्री शिक्षा

सुरेश कुमार 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 20 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में स्त्रियों से जुड़े विषयों पर लगातार लिखते रहे हैं। उनका शोध भी इसी काल पर है। इस लेख में उन्होंने 19 वीं शताब्दी के सातवें दशक में प्रकाशित पुस्तक ‘स्त्री दर्पण’ पर लिखा है। यह बताया है …

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     रख्माबाई: हिंदू कानून और बाल विवाह

19वीं सदी के उत्तरार्ध तथा 20 वीं सदी के पूर्वार्ध में स्त्री से जुड़े मुद्दों को लेकर सुरेश कुमार लगातार लिखते रहे हैं। यह लेख उन्होंने रख्माबाई पर लिखा है, जिन्होंने स्त्री अधिकारों को लेकर उल्लेखनीय लड़ाई लड़ी थी- =================== उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भारत का शासन महारानी विक्टोरिया …

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हिन्दुस्तानी संस्कृति के अलम बरदार उर्दू शायर फ़िराक़ गोरखपुरी

आज प्रसिद्ध शायर फ़िराक़ गोरखपुरी की जयंती है। पेश है जाने माने सरोद वादक असित गोस्वामी का यह लेख।देश विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके सितार वादक और साहित्य प्रेमी डॉ असित गोस्वामी वर्तमान में बीकानेर के राजकीय कन्या महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं- ========================== अगर है हिन्द …

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