आज दिनांक 8/2/2024 को दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज(सांध्य) में विकसित भारत@2047 से जुड़े कार्यक्रमों की शृंखला का उद्घाटन करते हुए केरल के राज्यपाल श्री आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि हमें अपने अतीत के गौरव को याद करते रहना चाहिए इससे भविष्य के निर्माण की प्रेरणा मिलती …
Read More »प्रदीप दाश के उपन्यास ‘चरु, चीवर और चर्या’ का अंश
बड़े दिनों बाद एक दिलचस्प ऐतिहासिक उपन्यास पढ़ा- ‘चरु, चीवर और चर्या’। लेखक हैं प्रदीप दाश। उपन्यास की पृष्ठभूमि बौद्ध धर्म है, मध्यकाल से पहले के दौर में उड़ीसा में धर्मों का द्वंद्व किस तरह चल रहा था, उसमें राज्य की भूमिका कैसी थी? सब कुछ बहुत रोचक तरीक़े से …
Read More »अनछुए चरित्र, विस्मित कर देनेवाले किरदार
जाने माने कथाकार-कवि हरि मृदुल का कहानी संग्रह ‘हंगल साहब ज़रा हँस दीजिए’ पिछले साल आया था। उसके बारे में प्रसिद्ध लेखिका अलका सरावगी की यह टिप्पणी पढ़िए। संग्रह आधार प्रकाशन से प्रकाशित है- ========================== हरि मृदुल की कहानियां समकालीन जीवन-जगत को एकदम अलग कोणों से पकड़ती हैं। अपने कथ्य, …
Read More »‘अग्निकाल; सल्तनतकालीन सिपहसालार मलिक काफ़ूर की कहानी’ का एक अंश
पेंगुइन स्वदेश से किताब आई है ‘अग्निकाल; सल्तनतकालीन सिपहसालार मलिक काफ़ूर की कहानी’। युगल जोशी की इस किताब का एक अंश पढ़िए- ======================= माणिक की आँखों में आँसू और अंगारे दोनों ही थे। पर अब खोने को क्या बाकी था? ‘इतना ही वीर पुरुष है तो हाथ खोल दे मेरे, …
Read More »पंकज दुबे के उपन्यास ‘इश्क़ बाक़ी’ का एक अंश
पंकज दुबे उन लेखकों में हैं जिन्होंने दो भाषाओं में लिखना शुरू किया। जिस जमाने में जब विनर की कहानियाँ लिख रहे थे उन्होंने ‘लूज़र कहीं का’ का लिखा, उसके बाद उन्होंने हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में कुछ और उपन्यास लिखे और जिनको पाठकों का प्यार भी मिला। उनका …
Read More »हमें नई राजनीतिक भाषा की जरूरत है
आज पढ़िए प्रसिद्ध समाजविज्ञानी और भारत जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक योगेन्द्र यादव का लेख। यह लेख भारतीय गणतंत्र पर है और द प्रिंट में प्रकाशित हो चुका है। आपके लिये साभार- ====================== अंग्रेजी की कहावत है: किंग इज डेड, लॉन्ग लिव द किंग” (`राजन नहीं रहे, राजन जिन्दाबाद`). इसी तर्ज पर 26 जनवरी को …
Read More »पुस्तक ‘कहाँ लगायें पैसा?’ का एक अंश
इधर हिन्दी में सेल्फ हेल्प की किताबों का प्रकाशन खूब बढ़ा है। जैसे यह किताब जिसका नाम है ‘कहाँ लगायें पैसा?’। लेखक हैं सीए अभिजीत कोलपकर। हम पेंगुइन स्वदेश से प्रकाशित इस किताब का एक अंश लगा रहे हैं। पढ़कर बताइएगा- ============================= आर्थिक रूप से साक्षर कैसे बनें? अपने …
Read More »‘हिन्दू बनाम हिंदू’ पर कुछ विचार: योगेन्द्र यादव
प्रसिद्ध समाजविज्ञानी योगेन्द्र यादव का यह लेख ‘पंजाब केसरी’ में प्रकाशित हुआ था। राममनोहर लोहिया के हवाले से इस लेख में उन्होंने अनेक बहसतलब बातें की हैं। आप लोगों के लिए साझा कर रहा हूँ-प्रभात रंजन =========================== अपने कालजयी लेख ‘हिंदू बनाम हिंदू’ में राममनोहर लोहिया ने भारत के राजनीतिक …
Read More »युवा कवि अंचित की कविताएँ
आज पढ़िए युवा कवि अंचित की कविताएँ। समकालीन दौर के जाने माने कवि अंचित की कविताओं में समकालीन समय का द्वंद्व दिखाई देता है। पढ़िए कुछ सवाल पूछती कविताएँ- =========================== इच्छा कोई अंतरंग जगह नहीं छोड़ी उन्होंने देश में और हिंसा का नाम उन्होंने रक्षा रख दिया है। एक अदना …
Read More »रोमांस की केमिस्ट्री मर्डर की मिस्ट्री: मेरी क्रिसमस
इस बार पंद्रह जनवरी को मैं श्रीराम राघवन की फ़िल्म ‘मेरी क्रिसमस’ देखने गया था। थ्रिलर विधा के मास्टर हैं। उनकी फ़िल्में ‘जॉनी गद्दार’ और ‘अंधाधुन’ बहुत पसंद आई थीं। यह फ़िल्म भी बहुत अच्छी लगी। ख़ासकर ऐसा क्लाइमेक्स तो सोचा भी नहीं था। लेकिन हॉल में इस फ़िल्म को …
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