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कृष्णनाथ की पुस्तक ‘पृथ्वी परिक्रमा’ की काव्यात्मक समीक्षा

कृष्णनाथ की प्रसिद्ध पुस्तक ‘पृथ्वी परिक्रमा’ की यह कविता समीक्षा की है यतीश कुमार ने। आप भी आनंद लीजिए-  ===============   1.   पश्चिमी हवा है और यात्रा भी पर ध्येय तो पूरबी है और जिज्ञासा भी   सहज निसर्ग आनंद की तलाश बाह्य परिवर्तनों को बूझने का लक्ष्य किसिम-किसिम …

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मूर्ख, महामूर्ख और वज्रमूर्खों की कथा:  मृणाल पाण्डे 

बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाओं की यह सत्रहवीं कड़ी है। वरिष्ठ लेखिका मृणाल पाण्डे लोक कथाओं की पोटली खोलती हैं और सदियों की संचित कथाओं में हमें अपने समकालीन राजनीतिक प्रसंग समझ में आने लगते हैं। समकालीन राजनीति का प्रहसन खुलने लगता है। जैसे मूर्खता की यह कथा …

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कविता शुक्रवार 16: ध्रुव शुक्ल की कविताएँ विनय अम्बर के चित्र

गांधी जयंती पर आज प्रस्तुत हैं ध्रुव शुक्ल की कविताएं और विनय अंबर के गांधी केंद्रित कुछ चित्र। कवि-कथाकार ध्रुव शुक्ल का जन्म वर्ष 1953 में सागर, मध्यप्रदेश में हुआ था। उनके अब तक तीन उपन्यास- ‘उसी शहर में’, ‘अमर टाकीज’ और ‘कचरा बाजार’ प्रकाशित हुए हैं। पाँच कविता संग्रह- …

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‘स्टूडेंट लाइफ़ के क़िस्से’ का एक अंश

हरमिंदर सिंह चहल को हम सब ‘समय पत्रिका’ के संपादक के रूप में जानते हैं। वे बहुत अच्छे लेखक भी हैं। उनका एक उपन्यास पहले प्रकाशित हो चुका है। अभी हाल में ही किंडल पर उनका ईबुक प्रकाशित हुआ है ‘स्टूडेंट लाइफ़ के क़िस्से’। उसका एक अंश पढ़िए- ======================== भविष्य …

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अभिलाष: उनका एक गीत मनुष्यता का प्रार्थना गीत बन गया!

   गीतकार अभिलाष को याद करते हुए यह श्रद्धांजलि लेख लिखा है  अजय बोकिल ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ========== जैसे कि ‘उसने कहा था’ कहानी ने चंद्रधर शर्मा गुलेरी को हिंदी साहित्य में अमर कर दिया, कुछ उसी तरह एक प्रार्थना गीत ‘इतनी शक्ति हमे देना दाता’ ने गीतकार …

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निवेदिता की कहानी ‘मैं पगली ऐसी जली कोयला भई न राख’

निवेदिता जी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। आम लोगों के जीवन को बड़े क़रीब से देखती हैं। जीवंत कहानियाँ लिखती हैं। जैसे यह कहानी। मिथिला की परम्परा, स्त्रियों के मन की कसक की एक बेजोड़ कहानी है। आप भी पढ़िए। अच्छा लगेगा- ============= टैक्सी कोसी नदी पर बने पुल से निकल कर …

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कवि वीरेन डंगवाल का स्मरण

आज कवि वीरेन डंगवाल की पुण्यतिथि है। उनको स्मरण करते हुए यह टिप्पणी की है कवि-कथाकार-पत्रकार हरि मृदुल ने- =============== ‘मैं तो सतत रहूंगा तुम्हारे भीतर नमी बनकर, जिसके स्पर्श मात्र से जाग उठा है जीवन मिट्टी में’ ० हरि मृदुल कविता के प्रति तीव्र उत्कंठा-उत्सुकता के दिन थे वे। …

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ज़रूरी सवालों और संकटों को संबोधित करती कहानियां:संजीव कुमार

अशोक कुमार पांडेय को लेखक के रूप में मैं उनकी इस कहानी के लिए भी याद रखता हूँ, ‘इस देश में मिलिट्री शासन लगा देना चाहिए’, अपने कथ्य में ही नहीं अपनी कला में भी यह कहानी अपने कथ्य में ही नहीं अपनी कला में भी यह कहानी बहुत अच्छी …

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हमें अपनी भाषाओं की ओर लौटना ही पड़ेगा

आत्मनिर्भरता का संबंध मातृभाषा से भी है। अशोक महेश्वरी ने अपने इस लेख में यह बताने की कोशिश की है कि जब काम करने वाले और काम कराने वाले एक ही भाषा भाषी होंगे तो उससे आत्मनिर्भरता का द्वारा खुलेगा। भारत में शिक्षा के विस्तार के लिए भी ज़रूरी है …

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कविता शुक्रवार 15: हृदयेश मयंक की कविताएं बसंत भार्गव के चित्र

इस बार की प्रस्तुति में हृदयेश मयंक की कविताएं और बसंत भार्गव के चित्र शामिल हैं। हृदयेश मयंक का जन्म 18 सितम्बर 1951को जौनपुर जिले के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने एम ए हिन्दी मुंबई विश्व विद्यालय से किया है। उनके कई कविता संग्रह और गीत संग्रह प्रकाशित …

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