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‘वर्षावास’ की काव्यात्मक समीक्षा

‘वर्षावास‘ अविनाश मिश्र का नवीनतम उपन्यास है । नवीनतम कहते हुए प्रकाशन वर्ष का ही ध्यान रहता है (2022 ई.) लेकिन साथ ही तुरंत उपन्यास के शिल्प पर ध्यान चला जाता है जो अपने आप में बिल्कुल ही नया है । अब तक हिंदी उपन्यासों में डायरी (नदी के द्वीप), पत्र …

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अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब की समीक्षा

‘अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब’ अल्पना मिश्र का यह उपन्यास हाल ही (2023 ई.) में  प्रकाशित हुआ है, जिसके केंद्र में है नीली, जिसके माध्यम से स्त्री-संघर्ष के विभिन्न रूप हमारे सामने आते हैं और पुन: यह बात स्पष्ट होती है कि पितृसत्ता एक ही है लेकिन उसके माध्यम …

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अनुकृति उपाध्याय से प्रभात रंजन की बातचीत

किसी के लिए भी अपनी लेखन-यात्रा को याद करना रोमांच से भरने वाला होता होगा । जब आप अपनी शुरुआती स्तर से कुछ दूर निकल आते हैं तब वहाँ से पीछे मुड़ कर देखना-सोचना अलग तरह के एहसास से भर देने वाला होता है, जब अपनी ही यात्रा एक-एक कर …

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तसनीम खान की कहानी

विभाजन त्रासदी को क्या किसी एक दिन या एक साल से जोड़ कर देखा जा सकता है ? विभाजन वर्ष केवल एक है लेकिन उससे जुड़ी भयानक स्मृतियाँ एक निश्चित समय की नहीं हो सकती हैं। विभाजन पर भीष्म साहनी का उपन्यास ‘तमस’ सबके ध्यान में होगा, जो विभाजन के …

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‘बहुजन स्कालर्स फोरम’ द्वारा आयोजित गोष्ठी की रपट

‘बहुजन स्कॉलर्स फोरम‘ विभिन्न शोधार्थियों व विद्यार्थियों का एक संगठन है जिसके माध्यम से यह समय-समय पर सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक प्रयास करता रहता है। कल, 14 अप्रैल 2024 ई. को, बाबा भीमराव अंबेडकर की 133वीं  जयंती के उपलक्ष्य में ‘फोरम’ द्वारा एकदिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी …

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संदीप तिवारी की कविताएँ

आज पढ़िए युवा कवि संदीप तिवारी की कविताएँ। इन कविताओं को पढ़ते हुए उन बदली हुई परिस्थितियों पर सहज ही ध्यान चला जाता है जब कभी न कभी, धीरे-धीरे सबसे एक शहर छूट जाता है, जब जीवन में निश्चितताएँ अधिक थीं, तकनीकी विकास के आने से सुविधाएँ तो बहुत मिलीं …

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‘बोरसी भर आँच’ की उष्मा

आज पढ़िए यतीश कुमार की मार्मिक संस्मरण पुस्तक ‘बोरसी भर आँच’ की यह समीक्षा जिसे लिखा है कवि-तकनीकविद सुनील कुमार शर्मा ने। यह पुस्तक राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित है- ============================  कवि-कथाकार यतीश कुमार की सद्य प्रकाशित संस्मरण की किताब ‘बोरसी भर आँच’ पढ़ते हुए बशीर बद्र साहब का यह मानीखेज …

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सुरेश पंत की किताबों ‘शब्दों के साथ-साथ’ व ‘शब्दों के साथ-साथ-2’ की समीक्षा

भाषा, जिसमें हम हर वक्त जीते हैं। एक बात जो बहुत ज़्यादा महसूस होती है कि भाषा के बारे में शुरुआती स्तर पर हर कोई यही कहते आए हैं कि ‘भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है’ लेकिन क्या यह बस इतना ही है? क्या ऐसा नहीं कि भाषा जितनी अभिव्यक्ति का …

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बेबी हालदार से शर्मिला जालान की बातचीत

बेबी हालदार, एक ऐसा नाम जिनकी जीवन यात्रा हमें स्तब्ध करती है। एक ऐसी महिला जिनकी शादी बहुत जल्द करा दी गई, उसी जल्दबाजी में बच्चे भी हो गए। लेकिन अपने जीवन में वह इज्ज़त, गरिमा नहीं मिल पाई जिसका हकदार प्रत्येक व्यक्ति होता है। सालों बाद उनकी किताब आती …

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किंशुक गुप्ता की कहानी ‘ज़ी-होश’

युवा लेखकों में किंशुक गुप्ता की कहानियों ने कम समय में ही सबका ध्यान आकर्षित किया है। वे नई संवेदनशीलता के साथ आये हैं और हिन्दी कहानी में एक नई लकीर खींच रहे हैं। आज पढ़िए उनकी कहानी जो वैसे तो ‘हंस’ पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है लेकिन अधिक …

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