वह एक भरपूर बौद्धिक शाम थी. सच बताऊँ तो जबसे हिंदी में सेलिब्रिटी लेखकों का दौर चला है, पौपुलर-शौपुलर का जोर बढ़ा है हिंदी के मंचों से जैसे बौद्धिकता की विदाई ही हो गई है. आप किसी प्रोग्राम में चले जाइए आह-आह, वाह-वाह ही होता रह जाता है. लेकिन उस …
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