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Tag Archives: कई चाँद थे सरे आसमां

‘कई चाँद थे सरे आसमां’ के बहाने कुछ मौजू बातें

हाल के बरसों में जिस एक उपन्यास ने बड़ी सरगर्मी पैदा की वह शम्सुर्ररहमान फारुकी का उपन्यास ‘कई चाँद थे सरे आसमां‘ है. मूल रूप से उर्दू में लिखे गए इस उपन्यास के हिंदी और अंग्रेजी संस्करणों की भी धूम मची. इस उपन्यास पर युवा लेखक शशिभूषण द्विवेदी ने एक बढ़िया …

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