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युवा शायर #23 वर्षा गोरछिया की नज़्में

युवा शायर सीरीज में आज पेश है वर्षा गोरछिया की नज़्में – त्रिपुरारि ====================================================== नज़्म-1 तुम आओ एक रात कि पहन लूँ तुम्हें अपने तन पर लिबास की मानिंद तुम को सीने पे रख के सो जाऊँ आसमानी किताब की मानिंद और तिरे हर्फ़ जान-ए-जाँ ऐसे फिर मिरी रूह में …

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किसी को चाहते जाना क्या इंक़लाब नहीं?

आज पेश है ज़ीस्त की एक नज़्म, जिसका उनवान है ‘इंक़लाब’ – संपादक ======================================================= मुझसे इस वास्ते ख़फ़ा हैं हमसुख़न मेरे मैंने क्यों अपने क़लम से न लहू बरसाया मैंने क्यों नाज़ुक-ओ-नर्म-ओ-गुदाज़ गीत लिखे क्यों नहीं एक भी शोला कहीं पे भड़काया मैंने क्यों ये कहा कि अम्न भी हो सकता …

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फ़िल्म डायरेक्टर विशाल भारद्वाज की कविता

विशाल भारद्वाज निर्देशित फ़िल्म ‘रंगून’ हाल में रिलीज़ हुई और बहुत चर्चा में है। जानकीपुल पर भी कई रिव्यू पढ़ा जा चुका है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि विशाल कविताएँ भी लिखते हैं। जल्द ही उनकी कविताओं का संग्रह हमारे बीच होगा। फ़िलहाल पढ़ते हैं विशाल भारद्वाज की कविता, …

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या फ़िल्मी गाने रमता हूं, मैं अल्लाह-अल्लाह करता हूं

इन दिनों एक ओर हिंदी के हार्ट लैंड दिल्ली में जश्न-ए-रेख़्ता यानी उर्दू का फेस्टीवल चल रहा है। दूसरी ओर मुम्बई में एक यंग सा लड़का ‘हुसैन हैदरी’ अपने आप को हिंदुस्तानी मुसलमां होने की बात कहता है। सवाल ये है कि क्या हिंदुस्तानी मुस्लमां जैसी कोई चीज़ होती है? …

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