कल जब टीवी पर यह समाचार देखा कि सूफी फ़कीर शाहबाज़ कलंदर की मजार पर धमाका हुआ है तो मुझे ओम थानवी की किताब ‘मुअनजोदड़ो’ की याद आई. उस किताब में उन्होंने सेवण शरीफ की यात्रा का जिक्र किया है- “बाहर उजाला हो गया था. बस एक कस्बे में रुकी …
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