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‘रंगून’ फिल्म नहीं एक अतुकांत कविता है

सोशल मीडिया के वर्चस्व के इस दौर में हम जजमेंटल होने की जल्दबाजी में रहते हैं. एक वाक्य में फैसला सुनाकर अगले फैसले की तरफ बढ़ जाते हैं. ‘रंगून’ फिल्म के साथ यही हुआ है. उस फिल्म की आज एक और डिफरेंट रीडिंग दिव्या विजय ने की है- मॉडरेटर ============ …

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देशप्रेम ब्लडी हेल! ‘रंगून’ में प्रेम है प्रेम!

‘रंगून’ फिल्म जब से आई है तब से उसको लेकर कई तरह की व्याख्याएं हो रही हैं. आज मुश्किल यह हो गई है अच्छी या बुरी के इर्द गिर्द ही फिल्मों की सारी व्याख्या सिमट कर रह जाती है. उसके बारे में अलग-अलग पहलुओं को लेकर चर्चा कम ही होती …

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प्रेम की नहीं देशप्रेम की फिल्म है ‘रंगून’

सिनेमा पर लिखता नहीं हूँ लेकिन रिव्यू पढ़कर सिनेमा देखता जरूर हूँ. ‘रंगून’ देखने के बाद यह महसूस हुआ कि रिव्यू पढ़कर कई बार सिनेमा देखने पर यह बुझाता है कि जो लिखा गया था वह तो फिल्म में है ही नहीं. ‘इन्डियन एक्सप्रेस’ समेत सभी बड़े अखबारों ने फिल्म की बड़ी …

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