विष्णु खरे के निधन के बाद जो श्रद्धांजलियाँ पढ़ीं उनमें मुझे सबसे अच्छी वरिष्ठ लेखक विनोद भारद्वाज की लगी। इंडिया टुडे में प्रकाशित इस श्रद्धांजलि को साभार प्रस्तुत कर रहा हूँ- प्रभात रंजन ============================================ कभी-कभी मौत एक बहुत गलत और अजीब समय पर आकर दरवाजे पर चुपचाप खड़ी हो जाती …
Read More »विष्णु खरे की एक असंकलित कविता
विष्णु खरे की एक असंकलित कविता कवि-संपादक पीयूष दईया ने उपलब्ध करवाई है। विष्णु खरे की स्मृति को प्रणाम के साथ- मॉडरेटर ================ वसन्त वे दौड़ कर दीवार तक पहुँच जाते हैं दरारों में झाँक वापस मेरी ओर गर्दन मोड़ कर मेरी पीठ से पूछते हैं क्या तुम गंधस्नाता वासन्ती बयार …
Read More »अखिलेश का लेख ऐतिहासिक है
कल स्कूल में पढ़ाई जाने वाली हिंदी पाठ्यपुस्तकों को लेकर वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश का एक शोधपरक लेख पोस्ट किया था. उसके ऊपर टिप्पणी के बहाने वरिष्ठ कवि, विद्वान विष्णु खरे का यह लेख है. विष्णु जी ने कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना शैली में यह लेख लिखा है. लेकिन …
Read More »शब्दकोश बनाना या छापना-छपवाना किसी विश्वविद्यालय का काम नहीं हो सकता
कल जनसत्ता संपादक ओम थानवी ने महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा तैयार करवाए गए और भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित शब्दकोश पर एक सारगर्भित टिप्पणी की थी, जिसको हमने जानकी पुल पर भी साझा किया था। वरिष्ठ कवि-आलोचक विष्णु खरे ने उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप यह लेख भेजा है। हालांकि इस …
Read More »जो न फरेब खाते हैं न फरेब देते हैं
वरिष्ठ कवि-आलोचक विष्णु खरे ने चंद्रकांत देवताले के साहित्य अकादेमी सम्मान पर एक अच्छी टिप्पणी की है, हालांकि अपनी खास कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना शैली में- जानकी पुल. =============================================== अब जबकि मेरे दोनों प्रिय वरिष्ठ कवियों विनोदकुमार शुक्ल और चंद्रकांत देवताले को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है, …
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