श्रीकांत दुबे कई विधाओं में लिखते हैं. उनको मैं अच्छे कथाकार के रूप में जानता रहा हूँ. इन कविताओं को पढ़कर चौंक गया. कुछ टटके बिम्बों वाली कविताएं. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन 1. अन्यों का समुच्चय मैं मेरी बनावट बुनावट संघटन रक्त-कणिकाएं डीएनए और क्रोमोजोम्स तक मिले जुले नतीजे …
Read More »मैं तुम्हें छू लेना चाहता था, मार्केस!
युवा लेखक श्रीकांत दुबे पिछले दिनों मेक्सिको में थे. मार्केस के शहर मेक्सिको सिटी में. तब मार्केस जिन्दा थे. उनका यह संस्मरणात्मक लेख लैटिन अमेरिका में मार्केस की छवि को लेकर है, मार्केस से मिलने की उनकी अपनी आकांक्षा को लेकर है. पढ़ते हुए समझ में आ जाता है कि …
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