ऐसा लग रहा है लेखकों ने अपने सारे दाग धो दिए हैं, मैं हिंदी-लेखकों की बात कर रहा हूँ. जिस भाषा के लेखक देश में हर आतातायी दौर में गुम्मी-सुम्मी ओढ़े रहे वे आज प्रतिरोध के सबसे बड़े प्रतीक बने हुए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि प्रतिरोध की …
Read More »जो न फरेब खाते हैं न फरेब देते हैं
वरिष्ठ कवि-आलोचक विष्णु खरे ने चंद्रकांत देवताले के साहित्य अकादेमी सम्मान पर एक अच्छी टिप्पणी की है, हालांकि अपनी खास कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना शैली में- जानकी पुल. =============================================== अब जबकि मेरे दोनों प्रिय वरिष्ठ कवियों विनोदकुमार शुक्ल और चंद्रकांत देवताले को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है, …
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