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Tag Archives: स्वदेश दीपक

‘मैंने मांडू नहीं देखा’ को पढ़ने के बाद

कवि यतीश कुमार ने हाल में काव्यात्मक समीक्षा की शैली विकसित की है। वे कई किताबों की समीक्षा इस शैली में लिख चुके हैं। इस बार उन्होंने स्वदेश दीपक की किताब ‘मैंने मांडू नहीं देखा’ पर लिखी है। यह किताब हिंदी में अपने ढंग की अकेली किताब है और इसके …

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मृत्यु-गंध में लिपटी स्वदेश दीपक की ‘बगूगोशे’ की ख़ूशबू

जगरनॉट बुक्स से स्वदेश दीपक की आखिरी कहानियों का संग्रह प्रकाशित हुआ है- बगूगोशे. इस संग्रह पर युवा लेखक-पत्रकार अरविन्द दास की लिखत पढ़िए. कितनी आत्मीयता से लिखा है- मॉडरेटर ======================================= मृत्यु-गंध कैसी होती है/ वह एक ऐसी खुशबू है/ जो लंबे बालों वाली/ एक औरत के ताजा धुले बालों …

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