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Tag Archives: हरे प्रकाश उपध्याय

अखिलेश के उपन्यासों के केंद्र में बेदखल होता मनुष्य है

  कल मैंने एक आत्ममुग्ध लेखिका का यह वक्तव्य पढ़ा कि अखिलेश का उपन्यास ‘निर्वासन’ हिट नहीं हुआ. मुझे हैरानी हुई कि क्या साहित्यिक कृतियाँ, गंभीर साहित्यिक कृतियाँ हिट या फ्लॉप होती हैं? क्या साहित्यिक कृतियों का मूल्यांकन इस तरह से किया जाना चाहिए? यह गंभीर बात है कि किस …

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