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Tag Archives: ख़ुदा के साए में आँख मिचोली

मैं भूखा हूँ, रोज़ादार नहीं हूँ

रमज़ान का महीना शुरू हो गया है। मुझे याद आता है रहमान अब्बास का उर्दू नॉवेल (ख़ुदा के साए में आँख मिचोली), जिसमें एक किरदार कहता है- “मैं भूखा हूँ रोज़ादार नहीं हूँ।” बता दूँ कि 2011 में छपे, रहमान के इसी नॉवेल पर महाराष्ट्र साहित्य अकादमी का बेस्ट नॉवेल …

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