प्रियंका नारायण बीएचयू की शोध छात्रा रही हैं। मिथकों पर अच्छा लिखती हैं। इस बार उन्होंने गल्प में मिथकीय काशी से वर्तमान काल के काशी की यात्रा की है। काशी की एक स्त्री छवि देखिए।यह उनकी पुस्तक ‘घन बरसे’ का एक अंश है- ============================= अविमुक्त क्षेत्र (काशी) के मुक्त मेघों …
Read More »‘काजल लगाना भूलना’ का मर्म
व्योमेश शुक्ल समकालीन हिंदी कविता का जाना पहचाना नाम है। हाल में उनका कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है ‘काजल लगाना भूलना’। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह पर यह लम्बी टिप्पणी की है बीएचयू के शोध छात्र मानवेंद्र प्रताप सिंह ने- ========== व्योमेश शुक्ल का हाल ही में प्रकाशित कविता …
Read More »एक ही पृथ्वी पर कितने बनारस
आज सुबह सुबह आलोचक-प्रोफ़ेसर पंकज पराशर का यह लेख पढ़ा। पढ़ते ही साझा करने का ऐसा मन हुआ कि एयरपोर्ट पर बैठे बैठे आज पहली बार फ़ोन से पोस्ट कर रहा हूँ। मैं यात्रा में हूँ, आप इस लेख के साथ परतदार बनारस की यात्रा कीजिए- प्रभात रंजन ——————————————————————- संतों-असंतों …
Read More »पाट गंगा का तट गंगा का और ये घाट किसके हैं ?
वरिष्ठ कवि निलय उपाध्याय अभी हाल में ही गंगा की साइकिल यात्रा पूरी कर मुंबई लौटे हैं. इधर बनारस का माहौल गरमा गया है. गंगा के घाटों पर पानी में उफान आ रहा है. बनारस को लेकर उनकी कुछ ताजा कविताएँ इसी बदलते माहौल, इन्हों हलचलों को कैद करने की …
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