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Tag Archives: divik ramesh

कितने ही चाँद रोने लगे हैं सियारों की तरह

70 के दशक के आरम्भ में अशोक वाजपेयी सम्पादित ‘पहचान सीरीज’ ने जिन कवियों की पहचान बनाई थी दिविक रमेश उनमें एक थे. अर्सा हो गया. लेकिन दिविक रमेश आज भी सृजनरत हैं. अपने सरोकारों, विश्वासों के साथ. उनकी कविता का मुहावरा जरूर बदल गया है लेकिन समकालीनता से जुड़ाव …

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