विनोद मेहता का जाना पत्रकारिता के एक मजबूत स्तम्भ का ढह जाना है. उस स्तम्भ का जिसके लिए पत्रकारिता एक मूल्य था, सामाजिक जिम्मेदारी थी. उनकी आत्मकथात्मक पुस्तक ‘लखनऊ बॉय’ के बहाने उनकी पत्रकारिता का बेहतर मूल्यांकन किया है जाने-माने लेखक प्रेमपाल शर्मा ने- मॉडरेटर ============================================================ 1941 में मौजूदा पाकिस्तान …
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