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रेणु के उपन्यास ‘परती परिकथा’ पर आलोचक मदन सोनी का लेख

अभी कुछ दिनों पहले लन्दन में रहने वाले एक तथाकथित लेखक ने फणीश्वरनाथ रेणु का मजाक उड़ाते हुए लिखा कि उनकी भाषा का अनुवाद होना चाहिए क्योंकि उनकी बिहार के बाहर के लोगों को समझने में मुश्किल होती है. मुझे याद आया कि निर्मल वर्मा ने रेणु जी के ऊपर …

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