हिंदी में छठे दशक के बाद लिखी गई कहानियों को केंद्र में रखकर, विजय मोहन सिंह और मधुकर सिंह द्वारा सम्पादित एक समीक्षात्मक किताब आई है. अब उस समीक्षात्मक किताब की समीक्षा कर रहे हैं माधव राठौर. आप भी पढ़िए- संपादक ======================================================= “60 के बाद की कहानियां” किताब विजय …
Read More »सच, प्यार और थोड़ी-सी शरारत
खुशवंत सिंह की आत्मकथा ‘सच, प्यार और थोड़ी-सी शरारत’ पर युवा लेखक माधव राठौड़ की टिप्पणी – संपादक =================================================== अंग्रेजी के प्रसिद्ध पत्रकार, स्तम्भकार और विवादित कथाकार खुशवंत सिंह की आत्मकथा अपनी शैली में लिखा गया अपने समय का वह कच्चा चिटठा है, जिसका दायरा रेगिस्तानी गाँव की गर्मी भरे …
Read More »विवाह का बदलता स्वरूप : साहित्य समाज और कानून
विवाह संस्था को लेकर विभिन्न लोगों का विभिन्न मत हो सकता है, होना भी चाहिए। समकालीन विवाह के बदलते स्वरूप पर माधव राठौड़ का लेख – संपादक ========================================================== अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमेशा महिलाओं के इतिहास और वर्तमान स्थिति पर ही चर्चा होती है। उनके अधिकारों,मांगों और कानूनों पर ही चर्चा …
Read More »