आज ‘शहंशाह-ए-ग़ज़ल’ कहे जाने वाले मेहदी हसन की पुण्यतिथि है. उनको याद करते हुए विमलेन्दु ने यह कविता लिखी है- अन्तरनाद ======== कोमल गांधार से शुरू होता था उनका अन्तरनाद जो धैवत् और निषाद के दरम्यान कहीं एकाकार हो जाता था हमारी आत्मा के सबसे उत्तप्त राग से. बड़े संकोच …
Read More »सुरों के शहंशाह थे मेहदी हसन
मेहदी हसन नहीं रहे. जिस दौर में गजल गायकी शोर-शराबे में बदलती जा रही थी मेहदी हसन ने उसे अदब और तहजीब बख्शी. आज ‘जनसत्ता’ ने सम्पादकीय में उचित ही लिखा है कि उनकी गायकी में केवल रागों को साधने का कौशल ही नहीं था बल्कि उसे सुनने वालों तक …
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