युवा शायर सीरीज में आज पेश है मुदिता रस्तोगी की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ग़ज़ल-1 सुनो एक बात थी जो तुमसे कहनी थी…चलो छोड़ो है छोटी उम्र और है दास्ताँ लम्बी, चलो छोड़ो उठा कर, खेल कर, दिल तोड़ कर देखे कई उसने पता की क़ीमतें सबकी के फिर बोली, चलो …
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