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Tag Archives: mukul saral

कुछ भी नहीं है पास, एक उम्मीद है

मुकुल सरल हिंदी गजल की यशस्वी परम्परा में आते हैं. कल ‘कवि के साथ’ कार्यक्रम में इण्डिया हैबिटेट सेंटर में उनको सुनने का अवसर होगा. फिलहाल आज यहां उनकी गजलें पढते हैं- जानकी पुल. ========================================================== ग़ज़ल (1) घर में जाले, बाहर जाल क्या बतलाएं अपना हाल? दिन बदलेंगे कहते–सुनते बीते …

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