प्रज्ञा समकालीन कहानी का जाना-माना नाम हैं। आज उनकी कहानी ‘बुरा आदमी’ पढ़िए। यह कहानी ‘पहल’ पत्रिका के कहानी विशेषांक में प्रकाशित हुई थी। आप यहाँ पढ़ सकते हैं। आज मैंने ठान लिया था टूटेजा सर शाम के समय कोई चक्कर लगवाएंगे तो साफ इंकार कर दूंगा। कई दिन …
Read More »प्रज्ञा की कहानी ‘एहसास’
प्रज्ञा एक सजग लेखिका हैं। बहुत संवेदनशीलता के साथ अपने आसपास के माहौल पर नजर रखती हैं। वहीं से उनकी कहानियाँ फूटती हैं। जैसे यह कहानी- जानकी पुल। ======================================== ‘‘अबे हो कहां तुम? कितनी दफा फोन किया? मिस्ड कॉल भी नहीं देखते हो क्या? या ज़्यादा …
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