आज युवा कवि प्रशांत की कविता. एक उम्मीद, विश्वास की तरह ये कविताएँ अपने खिच्चेपन में हमारा ध्यान बड़ी सहजता से खींचती हैं. वैचारिक आग्रहों का दबाव इनमें नहीं दिखता है बल्कि जीवन के पड़ाव दिखते हैं. कवि कुछ देर ठहरकर सोचता है, आगे बढ़ जाता है. उम्र की संकरी …
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