Home / Tag Archives: premchand

Tag Archives: premchand

निर्मल वर्मा: प्रेमचंद की उपस्थिति के बहाने अनुपस्थिति ढूंढने की कवायद

युवा लेखक उमाशंकर चौधरी का यह विस्तृत लेख प्रेमचंद की परंपरा और उसको लेकर चली बहसों को समेटता हुआ एक गहन वैचारिक लेख है जो बहस की माँग करता है। आप भी पढ़ सकते हैं- ========================== प्रेमचंद की उपस्थिति (निर्मल वर्मा से शीर्षक उधार लेते हुए उनके साथ प्रत्युत्तर जैसा …

Read More »

आज भी सबसे बड़े हैं प्रेमचंद

आज प्रेमचंद जयंती है। पढ़िए वरिष्ठ लेखक प्रकाश मनु का यह लेख प्रेमचंद की स्मृति को प्रणाम के साथ- …………………………………………………………………………………….. [1] प्रेमचंद पर लिखने बैठा हूँ, तो सबसे पहले जो बात मन में आती है और कागज पर उतरना चाहती है, वह यह कि प्रेमचंद से मेरी दोस्ती बचपन से …

Read More »

टॉल्स्टॉय, गोर्की और प्रेमचन्द: एक त्रिकोण

प्रेमचंद जयंती कल थी। आज आ. चारुमति रामदास का यह लेख पढ़िए। वह हैदराबाद में रूसी भाषा की प्रोफ़ेसर थीं। अनेक श्रेष्ठ पुस्तकों का रूसी से हिंदी अनुवाद कर चुकी हैं। इस लेख में उन्होंने प्रेमचंद को रूसी लेखकों के संदर्भ में समझने का प्रयास किया है- ================ पूरब के …

Read More »

हंस प्रकाशन राजकमल प्रकाशन परिवार का हिस्सा बना

प्रेमचंद के पुत्र अमृत राय द्वारा 1948 में स्थापित हंस प्रकाशन आज से राजकमल प्रकाशन समूह का हिस्सा हो गया है। प्रेमचंद की जयंती के दिन की यह उल्लेखनीय घटना है। हंस प्रकाशन का ऐतिहासिक महत्व रहा है और इसकी अपनी समृद्ध विरासत है। आशा है अब हम नए सिरे …

Read More »

प्रेमचंद का पत्र जयशंकर प्रसाद के नाम

  आज प्रेमचंद की जयंती पर उनका यह पत्र पढ़िए जयशंकर प्रसाद के नाम है। उन दिनों प्रेमचंद मुंबई में थे और फ़िल्मों के लिए लेखन कर रहे थे- =======================   अजंता सिनेटोन लि. बम्बई-12 1-10-1934   प्रिय भाई साहब, वन्दे! मैं कुशल से हूँ और आशा करता हूँ आप …

Read More »

रचना का समय और रचनाकार का समय

योगेश प्रताप शेखर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं और हिंदी के कुछ संभावनाशील युवा आलोचकों में हैं। रचना के समय और रचनाकार के समय में अंतर को समझने में  यह लेख बहुत सहायक है- ============================ कहते हैं कि साहित्य समय की अभिव्यक्ति है। समय की व्यापकता और उसके …

Read More »

भुवनेश्वर: एक जीनियस लेखक की याद

भुवनेश्वर को सम्यक् रूप से समझने के लिए समीर कुमार पाठक का यह लेख अच्छा लगा। वे वाराणसी में प्राध्यापक हैं। लेख आपसे साझा कर रहा हूँ- ==============================  भुवनेश्वर उन बिरले सृजनकर्मियों में थे जिन्होंने अपने छोटे से जीवनकाल में लीक से हटकर अलग किस्म का साहित्य सृजित किया और …

Read More »

वर्तमान में लोकप्रिय साहित्य का कोई मुकाम नहीं हैं: सुरेन्द्र मोहन पाठक

हिंदी के जाने माने लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक ने यह लेख लिखा है। 60 साल की लेखन यात्रा के अनुभवों से उन्होंने यह लिखा है कि हिंदी में लेखक होने का मतलब क्या होता है। जानकी पुल के पाठकों के लिए विशेष रूप से- जानकी पुल। ========= भारत में लेखन …

Read More »

‘रंगभूमि’ का रंग और उसकी भूमि

प्रेमचंद का साहित्य जब से कॉपीराईट मुक्त हुआ है तब से उनकी कहानियों-उपन्यासों के इतने प्रकाशनों से इतने आकार-प्रकार के संस्करण छपे हैं कि कौन सा पाठ सही है कौन सा गलत इसको तय कर पाना मुश्किल हो गया है. बहरहाल, मुझे उनका सबसे प्रासंगिक उपन्यास ‘रंगभूमि’ लगता है. इतना …

Read More »

मैं बहुत ही निम्नकोटि के चित्रपट देख रहा हूँ-प्रेमचंद

संपादक-कवि पीयूष दईया अपनी शोध योजना के दौरान दुर्लभ रचनाओं की खोज करते हैं और हमसे साझा भी करते हों. इस बार तो उन्होंने बहुत दिलचस्प सामग्री खोजी है. 1930 के दशक में प्रेमचंद का एक इंटरव्यू गुजराती के एक पत्र में प्रकाशित हुआ. बाद में वह प्रेमचंद सम्पादित पत्रिका …

Read More »