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Tag Archives: rabindranath tagore

गांधीजी गेहूं की खेत की तरह हैं तो टैगोर गुलाब बाग की तरह

संजय कृष्ण पेशे से पत्रकार हैं और चित्त से शोधार्थी। उन्होंने कई दुर्लभ किताबों की खोज की है और उनका प्रकाशन भी करवाया है। उनका यह लेख चरखे को लेकर गांधी-टैगोर बहस के बहाने कई बड़े मुद्दों को लेकर है- ======================= सन् 1915 से लेकर 1947 तक के कालखंड को …

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‘न हन्यते’ और ‘बंगाल नाइट्स’: एक शरीर दो आत्मा

मैत्रेयी देवी के उपन्यास ‘न हन्यते’ और मीरचा इल्याडे के उपन्यास ‘बंगाल नाइट्स’ के बारे में एक बार राजेंद्र यादव ने हंस के संपादकीय में लिखा था। किस तरह पहले बंगाल नाइट्स लिखा गया और बाद में उसके जवाब में न हन्यते। निधि अग्रवाल के इस लेख से यह पता …

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टैगोर: ‘वह कवि जब तक जिया, उसने प्रेम किया’

आज रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर सुपरिचित कवयित्री, प्रतिभाशाली लेखिका रश्मि भारद्वाज का लेख पढ़िए। पहले यह लेख ‘दैनिक भास्कर’ में प्रकाशित हो चुका है। वहाँ से साभार पढ़िए- मॉडरेटर =====================================  ‘मैंने अपने जीवन में चाहे और जो कुछ भी किया हो, एक लंबी ज़िंदगी जी लेने के बाद आज …

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मिथिला से रवीन्द्रनाथ टैगोर के आत्मीय रिश्ते थे

आज रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती थी. उनके जीवन-लेखन से जुड़े अनेक पहलुओं की चर्चा होती है, उनपर शोध होते रहे हैं. एक अछूते पहलू को लेकर जाने माने गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने यह लेख लिखा है. बिहार के मिथिला प्रान्त से उनके कैसे रिश्ते थे? एक रोचक और शोधपूर्ण लेख- जानकी पुल. …

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‘जन गण मन’ और रवीन्द्रनाथ टैगोर का पत्र

कल जॉर्ज पंचम की जयंती पर यह जिक्र आया था कि महाकवि टैगोर ने उनको भारत भाग्य विधाता लिखा था. टैगोर साहित्य के मर्मज्ञ उत्पल बैनर्जी ने पुलिन विहारी सेन को टैगोर का लिखा यह पत्र उपलब्ध करवाया जिसमें उन्होंने साफ़ साफ़ लिखा है कि ‘जन गण मन’ का उद्देश्य …

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रवीन्द्रनाथ की संगीत प्रतिभा अद्वितीय थी

आज रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती है. सम्पूर्ण कलाकार का जीवन लेकर आये उस महान व्यक्तित्व के संगीतकार पक्ष पर हिंदी में बहुत नहीं लिखा गया है. बांगला साहित्य के विद्वान् उत्पल बैनर्जी का यह लेख गुरुदेव की संगीत प्रतिभा को लेकर लिखा गया है जो पढने और संजोने लायक है- …

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वैराग्य-साधन के द्वारा मुक्ति मेरे लिए नहीं है

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में एमफिल के छात्र राजकुमार ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविता में जागरण और मुक्ति की चेतना को लेकर एक अच्छा लेख लिखा है- मॉडरेटर ============================                          बांग्ला साहित्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर रवीन्द्रनाथ ठाकुर बीसवीं शताब्दी के शुरुआती चार दशकों तक भारतीय साहित्याकाश में ध्रुवतारे की तरह चमकते रहे …

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हैं बंद द्वार घर-घर के, अँधियारा रात का छाया

हाल में ही रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीतों का अनुवाद आया है ‘निरुपमा, करना मुझको क्षमा’ नाम से. छंदबद्ध अनुवाद किया है प्रयाग शुक्ल ने. पुस्तक सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन से आई है. उसी पुस्तक से कुछ चुने हुए गीत- जानकी पुल. ———————————————- १. जो गए उन्हें जाने दो तुम जाना …

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रवीन्द्रनाथ के मिथिला से आत्मीय सम्बंध थे- बुद्धिनाथ मिश्र

आज रवीन्द्र जयंती है. उनके जीवन-लेखन से जुड़े अनेक पहलुओं की चर्चा होती है, उनपर शोध होते रहे हैं. एक अछूते पहलू को लेकर डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने यह लेख लिखा है. बिहार के मिथिला प्रान्त से उनके कैसे रिश्ते थे? एक रोचक और शोधपूर्ण लेख- जानकी पुल. ———————————————————————————————   …

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