कल ‘समास’ का लोकार्पण है. गहन वैचारिकता की अपने ढंग की शायद अकेली पत्रिका ‘समास’ की यह दूसरी पारी है. एक दशक से भी अधिक समय हो गया जब इस पत्रिका के सुरुचिपूर्ण प्रकाशित चार अंकों ने साहित्य की दूसरी परंपरा की वैचारिकता को मजबूती के साथ सामने रखा था. …
Read More »