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Tag Archives: sanjiv kumar

ज़रूरी सवालों और संकटों को संबोधित करती कहानियां:संजीव कुमार

अशोक कुमार पांडेय को लेखक के रूप में मैं उनकी इस कहानी के लिए भी याद रखता हूँ, ‘इस देश में मिलिट्री शासन लगा देना चाहिए’, अपने कथ्य में ही नहीं अपनी कला में भी यह कहानी अपने कथ्य में ही नहीं अपनी कला में भी यह कहानी बहुत अच्छी …

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मुक्तिबोध का अपूर्व आनंदमय पाठ

संजीव कुमार के व्यंग्य हम सब पढ़ते रहे हैं. वही जिसमें ‘खतावार’ के नाम से वे ख़त लिखते हैं. इस बार प्रसंग मुक्तिबोध की 50वीं पुण्यतिथि का है. यह देखिये, बौद्धिक व्यंग्य कितना मारक होता है- मॉडरेटर. ==================== दो शब्द कई महीने हो गए, ख़तावार ने कोई ख़त नहीं लिखा. …

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येल्लो, येल्लो, हम न कहते थे!

‘सबलोग’ पत्रिका के नए अंक में ‘आम आदमी पार्टी’ की सीमाओं और संभावनाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण लेख आए हैं। लेकिन सबसे जानदार है यह पत्र जो युवा आलोचक संजीव कुमार ने लिखा है। आप भी देखिये और बताइये है कि नहीं- प्रभात रंजन। ====================================== प्यारे अरविंद जी, जी हां, …

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आलोचना का गल्पित पाठ

संजीव कुमार ऐसे आलोचक हैं जिनकी आलोचना-भाषा सर्जनात्मक गद्य का आनंद देती है. यही लेख देखिये- है तो आलोचना की भाषा पर बेहद गुरु-गंभीर टाइप लेख और मैं हूं कि इसकी भाषा पर मुग्ध हुआ जा रहा हूं. शायद इसी को लालित्यपूर्ण पांडित्य कहते होंगे. बहरहाल, यह लेख उन्होंने हाल …

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चलन्तिका टीकाओं का पूरा अर्थशास्त्र बदल चुका है

संजीव कुमार हमारे दौर बेहतरीन गद्यकार हैं. उनका यह वृत्तान्त एक सिनेमा हॉल के बहाने पटना के आधुनिक-उत्तर-आधुनिक होने की कथा है. केवल पटना ही क्यों हमारे कस्बाई शहरों के रूपांतरण की कथा है. अद्भुत किस्सागोई, स्मृति-बिम्बों के सहारे अतीत का एक ऐसा लोक रचते हैं संजीव कुमार जिसमें अतीत …

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‘कहानी’ में न अंटने वाला कहानीकार उदय प्रकाश

संजीव कुमार हिंदी के गंभीर आलोचकों में गिने जाते हैं. हाल के वर्षों में जिन कुछ आलोचकों को मिलने के कारण देवीशंकर अवस्थी सम्मान की विश्वसनीयता बरकरार है, वे उनमें एक हैं. बहुत खुलेपन के साथ उन्होंने उदय प्रकाश की कहानियों, उनकी कथा-प्रविधि पर लिखा है. उदय प्रकाश को पढ़ने …

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