आज उमेश कुमार सिंह चौहान की कविताएँ. उनकी कविताओं का रंग ज़रा अलग है, उनमें प्रकृति की चिंता है, विनाश के कगार पर खड़ी सभ्यता की कराह है. आइये इन कविताओं से रूबरू होते हैं- जानकी पुल. महानाश के कगार पर अभी तो बस तीन ही बसन्त देखे थे मैंने,पृथ्वी …
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