युवा आलोचक वैभव सिह का यह लेख पढ़ने और चर्चा करने के योग्य है। उनके लगभग हर लेख की तरह सुचिन्तित और गहरी वैचारिकता से परिपूर्ण- मॉडरेटर ===================== भारतीय उपमहाद्वीप में स्त्री-पुरुष के संबंधों के बारे में खुलकर बात करने की मनाही नहीं है, पर आज भी इसे एक ‘संदिग्ध …
Read More »एजाज अहमद को क्यों पढना चाहिए?
वैभव सिंह मेरी पीढ़ी के उन कुछ बुद्धिजीवियों में बचे हैं जो मेरी तरह लोकप्रियता की आंधी में बह गए बल्कि अध्ययन-लेखन की मजबूत ज़मीन को पुख्ता बनाने में लगे हुए हैं. उनका यह लेख वामपंथी चिन्तक और साहित्यालोचक एजाज अहमद पर है. इसे पढ़ा जाना चाहिए- मॉडरेटर ======================= पश्चिम …
Read More »एजाज अहमद: पश्चिम की‘थ्योरी’ और तीसरी दुनिया का साहित्य
एजाज अहमद का नाम 90 के दशक में थ्योरी, आलोचना के सन्दर्भ में खूब लिया जाता था. आजकल गंभीर विमर्शों, आलोचना से नई पीढ़ी विमुख हो रही है. लेकिन वैभव सिंह का लेखन इसका अपवाद है. वे लगातार गंभीर लेखाकं कर रहे हैं और हिंदी आलोचना को समृद्ध कर रहे …
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