युवा शायर सीरीज में आज पेश है विजय शर्मा की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ==================================================== ग़ज़ल-1 यमन की धुन पे ये किसका बदन बहलता है हर एक शाम ये साहिल पे कौन चलता है किसी के होंठ की गर्मी जबीं को मिलते ही बदन का ग्लेशियर आँखों से बह निकलता है …
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