आज ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में मेरा यह लेख आया है- प्रभात रंजन ========================================= खुशी का मतलब बड़ी-बड़ी भौतिक उपलब्धियां पाना नहीं होता है। हालांकि हमारे समाज की यह कड़वी सच्चाई है कि हम इंसान का आकलन उसकी उपलब्धियों के आधार पर करते हैं। इससे समाज में हमारी पहचान …
Read More »विमल मित्र के गुरुदत्त
प्रसिद्ध बांग्ला उपन्यासकार विमल की मित्र ने गुरुदत्त पर एक पुस्तक लिखी थी. हाल में ही उसका हिंदी अनुवाद छपकर आया है- ‘बिछड़े सभी बारी बारी’. ‘साहब बीबी और गुलाम’ के लेखक विमल मित्र ने गुरुदत्त को बेहद करीब से देखा-जाना था- इसकी जानकारी इसी पुस्तक से हुई- जानकी पुल. …
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