काला पहाड़, बाबल तेरा देस में, रेत, नरक मसीहा, हलाला, सुर बंजारन, वंचना, शकुंतिका और …
Read More »भगवानदास मोरवाल के उपन्यास ‘ख़ानज़ादा’ का एक अंश
काला पहाड़, बाबल तेरा देस में, रेत, नरक मसीहा, हलाला, सुर बंजारन, वंचना, शकुंतिका और अब ख़ानज़ादा। पिछले कुछ वर्षों से अपने उपन्यास लेखन की निरंतरता और विषयों की विविधता के लिए चर्चित कथाकार भगवानदास मोरवाल ने हिंदी में अपनी एक अलग छवि और पहचान बनाई है। इनके बारे में …
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