बेल्जियम के युवा कवि स्टीवेन वान नेस्ट की कविताओं से मेरा परिचय करवाया हिंदी के युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा ने. कविताएँ अच्छी लगीं तो मैंने सोचा क्यों न इस कवि से आपका परिचय करवाया जाए. हिंदी अनुवाद त्रिपुरारि ने ही किया है- जानकी पुल.
1. दिल का दौरा
दुनिया रोती है
एक भूखे बच्चे की तरह
आत्मा की मासूमियत दूषित हो जाती है
स्त्री चुड़ैलों में बदल जाती है
और आकर्षण समाप्त हो जाता है
और आँखें खोलने पर तुम
एक भूखे बच्चे की तरह
रो देते हो
और एक माँ की तरह दुखी होते हो
एक बच्चे की मौत से
एक पिता की तरह मरते हो
गोलियों के बीच
दुनिया रोती है
एक भूखे बच्चे की तरह
आत्मा की मासूमियत दूषित हो जाती है
स्त्री चुड़ैलों में बदल जाती है
और आकर्षण समाप्त हो जाता है
और आँखें खोलने पर तुम
एक भूखे बच्चे की तरह
रो देते हो
और एक माँ की तरह दुखी होते हो
एक बच्चे की मौत से
एक पिता की तरह मरते हो
गोलियों के बीच
2. सेब
स्त्री
खड़ी है वहाँ
पर्दे के पीछे
शान से
सूरज की लाल चमक के साथ
झाँकती हुई छेद से
छोटे डच नहरों की तरह
बाढ़ का डर
जब लहर उमड़ती है
जैसे साँप आकर्षित हुआ हो
एक कीड़ा के साथ
अपराध में बराबर का हक़दार
और चाल की रूदन
गलियारे के साथ संरचित
जैसे पेड़ खंभा हो गया हो
ज़रा-सा नमकीन
जब वह मुड़ती है !
खड़ी है वहाँ
पर्दे के पीछे
शान से
सूरज की लाल चमक के साथ
झाँकती हुई छेद से
छोटे डच नहरों की तरह
बाढ़ का डर
जब लहर उमड़ती है
जैसे साँप आकर्षित हुआ हो
एक कीड़ा के साथ
अपराध में बराबर का हक़दार
और चाल की रूदन
गलियारे के साथ संरचित
जैसे पेड़ खंभा हो गया हो
ज़रा-सा नमकीन
जब वह मुड़ती है !
3. रोशनी की तलाश में
मैं देख सकता हूँ
सिर्फ़ ऊपर
जैसे तुम्हारी साँस वाष्पित होती है
आगामी कल की दलदली ज़मीन पर
शायद किसी दिन
एक यात्रा पर जाओ समंदर से मिलने
सिर्फ़ ऊपर
जैसे तुम्हारी साँस वाष्पित होती है
आगामी कल की दलदली ज़मीन पर
शायद किसी दिन
एक यात्रा पर जाओ समंदर से मिलने
अंतिम और पूर्ण ग्रहण के साथ
तुम रोयी थी मेरे कंधे पर सर रख कर
और देखती हुई कांच से
तुम्हारा चेहरा कुछ और शोख़ हो गया था
और तुमने कहा
कि तुम एक फरिश्ता थे !
और जब मैं मरा
मुझे एहसास हुआ कि तुम थी
और जब मैं रोया
मुझे लगता है मैं था
और मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा
और मैं नीचे गिर गया
और तुम चली गई थीं
और मैं वहाँ था
और मैं उठा
और मैंने कहा
कि तुम एक परी थी !
4. शहीदों की 25 वीं यादें
बच्चों को छोड़ा गया है कमरे में मरने के लिए
सब दया द्वारा परित्यक्त एक अजीब दुनिया में
अब दिल की धड़कन के साथ एकरूपता नहीं है
विस्फोट होता है सभी हिंसा के बीच में
और रक्त में वहाँ एक संदेश है
निराशात्मक और हताशा की
आँखें अब कुछ भी देख नहीं सकती
उनके सामने तनी, शैतान और प्रेत की तरह
क्या हम पेशा हैं ?
सब दया द्वारा परित्यक्त एक अजीब दुनिया में
अब दिल की धड़कन के साथ एकरूपता नहीं है
विस्फोट होता है सभी हिंसा के बीच में
और रक्त में वहाँ एक संदेश है
निराशात्मक और हताशा की
आँखें अब कुछ भी देख नहीं सकती
उनके सामने तनी, शैतान और प्रेत की तरह
क्या वहाँ कोई आवाज़ है गरजती मशीनगनों के बीच
?राख के बीच
कुछ सार
(और क्या
?)क्या यह एक भ्रम है
?क्या हम पेशा हैं ?
(कौन भगवान है – जिसका)
कोई भी कौन है ?
कौन है जो
युद्ध के मैदान पर
बस्तियों में
शिविरों में
नष्ट शहरों की जलती सड़कों पर
गुमनामी के धुँधलके में
हमलोग कौन हैं
कोई भी कौन है ?
5. उदास सैनिक
बजते हुए वायलिन का आकर्षन
आकर्षन दर आकर्षन
एक अकेला फूल की तरह दूर खींचता गया
एक बारीक़ रास्ता
दलदली ज़मीन से जाता है
और उदासी की खाइयों में
जाकर टूट गया
जैसे तुम्हारी आत्मा खुलती है
रोने और खाने के लिए
दलदल में फँसे लकड़ी के तख़्ते पर खेलती है
आकर्षन दर आकर्षन
एक अकेला फूल की तरह दूर खींचता गया
एक बारीक़ रास्ता
दलदली ज़मीन से जाता है
और उदासी की खाइयों में
जाकर टूट गया
जैसे तुम्हारी आत्मा खुलती है
रोने और खाने के लिए
दलदल में फँसे लकड़ी के तख़्ते पर खेलती है
रूकते साथियों की गति अंधेरे में सुस्त पड़ जाती है
आकर्षन और निषेध के बीच एक मुठभेड़ होता है
पानी के भीतर कांपते फेफड़े शांत हो जाते हैं
घुटन के भविष्य के लिए
भावनाएं मिट जाती हैं
तुरंत नशीला होने के लिए
जैसे वे नसों में यात्रा करते हैं
और दिल को छू लेते हैं
और तुम रोते हो
भुलाए हुए मासूम अतीत में टहलते हो
आकर्षन और निषेध के बीच एक मुठभेड़ होता है
पानी के भीतर कांपते फेफड़े शांत हो जाते हैं
घुटन के भविष्य के लिए
भावनाएं मिट जाती हैं
तुरंत नशीला होने के लिए
जैसे वे नसों में यात्रा करते हैं
और दिल को छू लेते हैं
और तुम रोते हो
भुलाए हुए मासूम अतीत में टहलते हो
कौन आईने में खड़ा है ?
कौन खिड़की से बाहर देख रहा है ?
यह अंधेरा है मकानों में,
दरवाजा बंद है और वहाँ कोई रोशनी नहीं है
और जब भगवान कहता है, वहाँ जाने को
तुम्हारी साँस
जैसे मोमबत्ती की लौ बाहर निकलती है
संदूक में छिपे हुए प्रेत का अनुशरण करते हुए
अगले प्राचीन दृश्य के रीलों के लिए
बचपन की सुस्त धूल और गंध
कौन खिड़की से बाहर देख रहा है ?
यह अंधेरा है मकानों में,
दरवाजा बंद है और वहाँ कोई रोशनी नहीं है
और जब भगवान कहता है, वहाँ जाने को
तुम्हारी साँस
जैसे मोमबत्ती की लौ बाहर निकलती है
संदूक में छिपे हुए प्रेत का अनुशरण करते हुए
अगले प्राचीन दृश्य के रीलों के लिए
बचपन की सुस्त धूल और गंध
(और दादी की कहानी की तरह…)
बच्चे ‘भेड़िया’ रोते हैं
लड़कियाँ ‘बार्बी’ फुसफुसाती हैं
वह-आदमी और वह-स्त्री के बीच
सूरज अपने धूप में नीचे चला जाता है
जैसे नीचे की सड़क से तुम घर से गुज़रते हो
जिसका दरवाजा ‘हैंगर’ से लटका है
चिमनी से अदरक की गंध आती है
तुम्हें नहीं पता कि क्या सोचना है !
तुम्हें मालूम नहीं है
कुछ भी नहीं
वहाँ क्या है जानने के लिए
जब अंधेरा उतरता है
छुपे हुए कोनों से तुमसे कहता है
लड़कियाँ ‘बार्बी’ फुसफुसाती हैं
वह-आदमी और वह-स्त्री के बीच
सूरज अपने धूप में नीचे चला जाता है
जैसे नीचे की सड़क से तुम घर से गुज़रते हो
जिसका दरवाजा ‘हैंगर’ से लटका है
चिमनी से अदरक की गंध आती है
तुम्हें नहीं पता कि क्या सोचना है !
तुम्हें मालूम नहीं है
कुछ भी नहीं
वहाँ क्या है जानने के लिए
जब अंधेरा उतरता है
छुपे हुए कोनों से तुमसे कहता है
खिलौने वापस आये हैं जीवन के लिए…
क्या अज्ञात आदमी तुम्हारी आवाज़ सुनता है ?
कौन है दाढ़ी वाला आदमी जो मरना या जीना चाहता है ?
उद्धारक, क्रूस पर चढ़ाया हुआ और नृत्य का देवता
बनाने वाला और ‘रेती’ का नियंत्रक
निस्तेज भाईचारा भी ग्रहण का साक्षी है
धूमकेतु के पास से गुजरता है, क़रीब और क़रीब
और बारिश शुरू होती है
अब तक से ज़्यादा मुसलाधार
और धूल व्यवस्थित हो जाती है
एक शांत गर्मी की दोपहरी
तीन बज चुके हैं
वहाँ गंभीरता का एक मौन है
कौन है दाढ़ी वाला आदमी जो मरना या जीना चाहता है ?
उद्धारक, क्रूस पर चढ़ाया हुआ और नृत्य का देवता
बनाने वाला और ‘रेती’ का नियंत्रक
निस्तेज भाईचारा भी ग्रहण का साक्षी है
धूमकेतु के पास से गुजरता है, क़रीब और क़रीब
और बारिश शुरू होती है
अब तक से ज़्यादा मुसलाधार
और धूल व्यवस्थित हो जाती है
एक शांत गर्मी की दोपहरी
तीन बज चुके हैं
वहाँ गंभीरता का एक मौन है
गिरते हुए मंदिर
विनाशकारी राष्ट्र
और जीवन को देख कर
तुम पागल हो जाओ
चहकती आवाज़ के साथ
कहीं तुम्हारी खोपड़ी के पीछे में
नये चाँद का पागल प्रभाव
भयानक धुन
गाओ इस सब की महिमा के लिए
जोर से
गगनभेदी, अनंत, असीमता की ओर
विनाशकारी राष्ट्र
और जीवन को देख कर
तुम पागल हो जाओ
चहकती आवाज़ के साथ
कहीं तुम्हारी खोपड़ी के पीछे में
नये चाँद का पागल प्रभाव
भयानक धुन
गाओ इस सब की महिमा के लिए
जोर से
गगनभेदी, अनंत, असीमता की ओर
कम्पन !
अब प्रतिशोध !
अब प्रतिशोध !
फिर एक अंतिम क्षण में
एक कोमल सांस खुलती है
कुछ रेत के महल खोते हैं
और कहीं सिर्फ़ यादें हैं
एक कोमल सांस खुलती है
कुछ रेत के महल खोते हैं
और कहीं सिर्फ़ यादें हैं
कुछ गुफा में रक्तरंजित खाल छुपाते हैं
कुछ बंजर भूमि में मरूद्यान आराम करते हैं
कुछ राज्यों में इच्छाएँ जलती हैं
कुछ बंजर भूमि में मरूद्यान आराम करते हैं
कुछ राज्यों में इच्छाएँ जलती हैं
और मूर्ख व्यगंचित्त के साथ तुम तलवार निकालते हो
विश्वासघात की छाया की ओर
जहाँ आईना टूट जाता है
तुम अपने चेहरे को देखते हो
लंबे समय तक तुम अपने सपने को मरते और जीते हो
लंबे समय तक तुम अपनी ही भाषा बोलते हो
और जब पहली बार तुम सुनते हो
सुनते हो, एक दयापूर्ण पक्षी का गीत
बंजर भूमि में चहकती हुई
उम्मीद की बढ़ती हुई दृष्टि के लिए !
विश्वासघात की छाया की ओर
जहाँ आईना टूट जाता है
तुम अपने चेहरे को देखते हो
लंबे समय तक तुम अपने सपने को मरते और जीते हो
लंबे समय तक तुम अपनी ही भाषा बोलते हो
और जब पहली बार तुम सुनते हो
सुनते हो, एक दयापूर्ण पक्षी का गीत
बंजर भूमि में चहकती हुई
उम्मीद की बढ़ती हुई दृष्टि के लिए !
sonuji…
steven 'english' me likhte hain
जब लहर उमड़ती है
जैसे साँप आकर्षित हुआ हो
एक कीड़ा के साथ
अपराध में बराबर का हक़दार
और चाल की रूदन
गलियारे के साथ संरचित..kya baat hai.. sundar rachnaaye
स्टीवेन वान नेस्ट डच भाषा में लिखते हैं या फ्रेंच में?
badhiya anuvad,
इस कवि का परिचय कराने के लिए आपका और त्रिपुरारी जी का अशेष धन्यवाद…अच्छी कविताएं हैं….
achchhi kavitaen… sundar anuwad hai..
tripirari ji aur prabhat ji ko sundar rachnaon ke liye badhai…
बेहतरीन पोस्ट :
shiva12877.blogspot.com
… umdaa rachanaayen … prasanshaneey prastuti !!