प्रसिद्ध आलोचक-अनुवादक गोपाल प्रधान ने यह लोक कथा भेजते हुए याद दिलाया की आज के सन्दर्भ में इसका पाठ कितना मौजू हो सकता है. सचमुच चिड़िया और दाना की यह कथा लगता है है आज के दौर के लिए ही लिखी गई थी- जानकी पुल.
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एक चिड़िया को दाल का एक दाना मिला । उसनेसोचा कि इसमें से आधा वह अभी खा लेगी और बाकी आधा चोंच में दबाकर दूर देस उड़कर जा सकेगी । यहीसोचकर उसने दाने को चक्की में दो हिस्सा करने के लिए डाला । चक्कीचलाते ही एक हिस्सा तो टूटकर बाहर आ गिरालेकिन शेष आधा चक्की के खूँटे में फँसा रह गया । अबतो कोई खूँटे को चीरे तो दाना निकले और वह अपना सफर शुरू करे । पहलेचिड़िया बढ़ई के पास गई । बोली
बढ़ईबढ़ई खूँटा चीर खूँटवे में दाल बा
काखाईं का पीहीं का ले परदेस जाईं
बढ़ई ने समय न होनेका बहाना बनाकर इनकार कर दिया । तबचिड़िया राजा के पास गई । बोली
राजाराजा बढ़ई डाँट बढ़ई न खूँटाचीरे
खूँटवेमें दाल बा
काखाईं का पीहीं का ले परदेस जाईं
राजा ने कहा– जाओतुम्हारे लिए मैं बढ़ई को नहीं डाँटूँगा । चिड़ियारानी के पास गई । बोली
रानीरानी राजा छोड़ राजा न बढ़ईडाँटे
बढ़ईन खूँटाचीरे
खूँटवेमें दाल बा
काखाईं का पीहीं का ले परदेस जाईं
रानी ने भी उसकी माँग की ओर ध्यान नहीं दिया और डाँटकर भगा दिया । चिड़ियासाँप के पास गई । बोली
सरपसरप रानी डँस रानी न राजाछोड़े
Tags gopal pradhan लोक कथा
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इस लोक कथा में एक कड़ी और है जब मूस से निराश चिड़िया बिल्ली के पास जाती है. कथा में इससे मनोवैज्ञानिक आधार भी आ जाता है.अंततः बिल्ली चूहे की बात सुन सहज ही तैयार भी हो जाएगी..
हमरा दादी माई की याद आ गईल…बरोबर यही कथा वो भी सुनैले रलख…|
आपका विशेष आभारी रहूँगा..इस पोस्ट के लिए….
सादर नमन |
बहुत सुन्दर!!!!!
अनु
Bhai, Ek baat samajh men n aai, pardes men dana le jana itna mushkil hua, to hamaare chide-chidiyan kaise furr-furr ud kar saare daane pardes men rakh kar aa rahe hain? Lok-katha se achchhi to Loktantra katha!
Gudgudati Kahani!
मुझे तो अपने स्वर्गीय काका बाबा की याद आ गयी जो ऐसी न जाने कितनी कहानियाँ एक के बाद एक सुनाते थे. बचपन के उन दिनों की सुनहरी यादों को ताज़ा करने के लिए धन्यवाद गोपाल जी और प्रभात जी
aaj ke samay par sateek kathaa .. kisi ek ko aage aana hai .. sab saath ho lenge .. bachpan men suni kahani aaj iatane samay baad mili .. lekhak ko bahut badhaayi
lokkathaen bahut kitna kuchh kahti hain, samjhati hain..aaj ke sandarbh mein ise padhna achchha laga.